उत्तराखंड में बंद पड़े उद्योगों को सरकार ने दी ये राहत

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। उत्तराखंड सरकार अब बंद पड़े उद्योगों को राहत देने जा रही है। इस कड़ी में कैबिनेट ने राज्य के औद्योगिक क्षेत्रों में इन भूखंडों के हस्तांतरण व किराये पर देने की छूट प्रदान की है। इसके लिए सरकार 10 प्रतिशत कर लेगी। इसके साथ ही अब जिलाधिकारी को राजकीय उद्योग से संबंधित भूखंडों व शेड के आवंटन, निरस्तीकरण, हस्तांतरण और किराये का अधिकार संबंधित जिलाधिकारी को देने का निर्णय लिया गया है।

सचिवालय में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में राजकीय औद्योगिक आस्थानों में भूखंड, शेड के आवंटन, निरस्तीकरण, हस्तांतरण व किराया संबंधी संशोधित नीति को मंजूरी दी गई। इस नीति के तहत यदि कोई उद्योग बंद है और उसके चलने की संभावना नहीं है, तो नए उद्यमी को इसका हस्तांतरण किया जा सकेगा। इसके अलावा वे भूखंड में हुए 500 वर्ग मीटर के निर्माण में से 300 वर्ग मीटर का हिस्सा किराये पर दे सकते हैं। 1000 वर्ग मीटर के निर्माण में 400-400 वर्गमीटर के दो हिस्से किराये पर दे सकते हैं।

यदि किसी भूखंड में लगे उद्योग के अलावा भी भूमि रिक्त है तो आवंटी इसे भी किराये पर दे सकता है। किराये पर देने वाले भूखंड अथवा भवन के मासिक किराये का 10 प्रतिशत कर के रूप में उद्योग विभाग को देना होगा। पहले यह कर 20 फीसद था। इसमें यह भी साफ किया गया है कि यदि कोई उद्यमी न तो दो वर्ष तक भूखंड पर कोई उद्योग स्थापित करता है और न ही इसे हस्तांतरित करता है और आगे भी उद्योग लगाने का शपथ पत्र नहीं देता है तो ऐसे भूखंड निरस्त कर दिए जाएंगे।

इसके अलावा नीति में राजकीय औद्योगिक क्षेत्रों को तीन श्रेणी में विभाजित किया गया है। इनमें ऐसे क्षेत्र, जहां 60 प्रतिशत से अधिक भूखंडों में उद्योग लगे हों उन्हें द्रतुगामी, जिन क्षेत्रों में 20 फीसद उद्योग लगे हों उन्हें मंथरगामी और जहां अभी उद्योग नहीं लगे हैं अथवा नए उद्योग लगने की प्रक्रिया में हैं उन्हें अकार्यरत की श्रेणी में रखा है। इन्हीं श्रेणियों के हिसाब से इनके भूखंडों की कीमत तय की जाएगी, जिसका निर्धारण संबंधित जिले के जिलाधिकारी करेंगे। अभी तक यह व्यवस्था उद्योग निदेशालय द्वारा देखी जाती थी।

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