देहरादून। कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से ठप पड़े पर्यटन उद्योग से जुड़े व्यवसायियों, कर्मचारियों, घोड़ा-खच्चर मालिकों, कुलियों, रिक्शा चालकों समेत 50 हजार व्यक्तियों की मदद के लिए तीरथ सिंह रावत सरकार आगे आई है। इन्हें दो माह के लिए एकमुश्त पांच हजार रुपये की आर्थिक मदद देने के फैसले पर मंत्रिमंडल ने मुहर लगाई।
लाकडाउन की वजह से अन्य प्रदेशों से काम-धंधा छोड़कर उत्तराखंड वापसी करने वाले प्रवासियों, रेहड़ी, ठेली वालों, सिलाई, कढ़ाई और कुटीर उद्यमों से जुड़े करीब 20 हजार व्यक्तियों को 10 हजार की राशि का ऋण देने का निर्णय किया गया है। इसमें पांच हजार रुपये की राशि बतौर सब्सिडी होगी। मंत्रिमंडल ने अन्य अहम फैसला लेते मुख्यमंत्री वात्सल्य योजना को मंजूरी दी। इसके तहत कोरोना की वजह से माता-पिता को खो चुके बच्चों के संरक्षक के तौर पर सरकार काम करेगी। उनके भरण-पोषण से लेकर शिक्षा-दीक्षा सरकार की देखरेख में होगी। इनके लिए सरकारी नौकरी में पांच फीसद क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था भी की गई है।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार को सचिवालय में हुई बैठक में कोरोना से प्रभावित व्यक्तियों और बच्चों को लेकर अहम निर्णय किए गए। कुल 14 बिंदुओं पर फैसले लिए गए हैं। मंत्रिमंडल ने कोरोना की वजह से व्यवसाय, रोजगार और आजीविका का संकट झेल रहे तकरीबन 75 हजार व्यक्तियों, व्यवसायियों को राहत देने पर मुहर लगाई। कैबिनेट मंत्री व शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि कोविड-19 के कारण लागू पाबंदियों से पर्यटन उद्योग को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है। मंत्रिमंडल ने इस उद्योग से जुड़े व्यक्तियों की मदद को हाथ आगे बढ़ाया है। इस पर 28.99 करोड़ की राशि खर्च होगी।
चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में पर्यटन उद्योग से जुड़ी विभिन्न इकाइयों में पंजीकृत करीब 50 हजार कार्मिकों को प्रतिमाह 2500 रुपये की दर से दो माह के लिए एकमुश्त पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी। इसके साथ ही 350 टूर आपरेटरों और 303 एडवेंचर टूर आपरेटरों को 10 हजार रुपये प्रति फर्म के हिसाब से मदद दी जाएगी।
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बुधवार को सचिवालय में हुई बैठक में कोरोना से प्रभावित व्यक्तियों और बच्चों को लेकर अहम निर्णय किए गए। कुल 14 बिंदुओं पर फैसले लिए गए हैं। मंत्रिमंडल ने कोरोना की वजह से व्यवसाय, रोजगार और आजीविका का संकट झेल रहे तकरीबन 75 हजार व्यक्तियों, व्यवसायियों को राहत देने पर मुहर लगाई। कैबिनेट मंत्री व शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल ने बताया कि कोविड-19 के कारण लागू पाबंदियों से पर्यटन उद्योग को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है। मंत्रिमंडल ने इस उद्योग से जुड़े व्यक्तियों की मदद को हाथ आगे बढ़ाया है। इस पर 28.99 करोड़ की राशि खर्च होगी।
चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में पर्यटन उद्योग से जुड़ी विभिन्न इकाइयों में पंजीकृत करीब 50 हजार कार्मिकों को प्रतिमाह 2500 रुपये की दर से दो माह के लिए एकमुश्त पांच हजार रुपये दिए जाएंगे। यह राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से सीधे उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी। इसके साथ ही 350 टूर आपरेटरों और 303 एडवेंचर टूर आपरेटरों को 10 हजार रुपये प्रति फर्म के हिसाब से मदद दी जाएगी।
इस पर क्रमश: 35.20 लाख और 30.30 लाख खर्च आएगा। पंजीकृत 631 राफ्टिंग गाइडों को 10 हजार रुपये प्रति गाइड दिया जाएगा। इस पर कुल 63.10 लाख रुपये का खर्च सरकार उठाएगी। पर्यटन व यात्रा व्यवसाय नियमावली के तहत पंजीकरण और लाइसेंस नवीनीकरण शुल्क में छूट देने का निर्णय किया गया है। बीते वर्ष इस छूट का फायदा 600 इकाइयों को मिला। इस कदम से खजाने पर छह लाख का बोझ पड़ेगा।
राफ्टिंग व एरोस्पोट्र्स सेवा प्रदाताओं को लाइसेंस नवीनीकरण पर छूट दी जाएगी। इस पर 65 लाख खर्च किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त यात्रा मार्ग, पर्यटन स्थलों पर घोड़ा-खच्चर मालिकों, रिक्शा चालकों व अन्य कर्मचारियों को भी आर्थिक सहायता दी जाएगी। इन कार्मिकों के बारे में जिला पर्यटन विकास अधिकारी के माध्यम से ब्योरा जुटाया जाएगा। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली स्वरोजगार योजना के अंतर्गत होम स्टे के लिए एक अप्रैल से 30 सितंबर तक ऋण पर ब्याज के रूप में करीब दो करोड़ की राशि की प्रतिपूर्ति की जाएगी।
कैबिनेट के फैसले
-कोरोना महामारी से प्रभावित पर्यटन उद्योग से जुड़े कर्मचारियों, व्यवसायियों को बड़ी राहत, एकमुश्त पांच हजार रुपये की मदद
-टूर आपरेटरों और राफ्टिंग गाइडों को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता, घोड़ा-खच्चर व रिक्शा चालकों की ली सुध
-लाकडाउन के चलते प्रभावित प्रवासियों, कुटीर उद्यमियों, सिलाई-कढ़ाई से जुड़े 20 हजार व्यक्तियों को मिलेगा सस्ता ऋण
-सीएम वात्सल्य योजना पर मुहर, कोरोना महामारी में मां-बाप को खोने वाले बच्चों की संरक्षक बनी सरकार, भरण-पोषण व शिक्षा, रोजगार को उठाए कदम
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