हल्द्वानी। पर्वतीय रूटों पर 39 दिनों बाद आज से केमू की बसें फिर से चलने लगेंगी। किराये के विवाद को लेकर दो मई के बाद से संचालन पूरी तरह ठप था। पहाड़ के सौ रूटों पर केमू की 350 बसों का संचालन होता है। हालांकि, ऑफ सीजन में सभी बसों का संचालन करना मुश्किल है।
सरकार द्वारा 50 और फिर 75 प्रतिशत सवारियों का नियम लागू करने पर केमू संचालकों ने पहले दोगुना और फिर डेढ़ गुना किराया देने की मांग की थी। लेकिन मांग पूरी नहीं होने पर दो मई को बसें खड़ी कर दी। अब पहले की तरह फुल सवारियों का आदेश आने पर केमू मालिकों ने बैठक के बाद संचालन के लिए हामी भर दी है। इसलिए कुमाऊं में आज से बसों का संचालन शुरू हो जाएगा।
200 बसें सरेंडर हो चुकी
विवाद का हल नहीं होने पर मई की शुरूआत में केमू के मालिकों ने 200 बसों को आरटीओ ऑफिस में सरेंडर कर दिया था। ताकि खड़ी गाडिय़ों में टैक्स का बोझ न पड़े। अब संभावना है कि किश्त व चालक-परिचालक की सैलरी निकालने के लिए मालिक गाडिय़ों को सरेंडर मुक्त करवाए।
रोडवेज को होगा नुकसान
केमू की बसें चलने से टैक्सी संचालकों के साथ परिवहन निगम को भी घाटा होगा। क्योंकि, यूपी में संचालन बंद होने की वजह से बसें देहरादून तक भी नहीं जा रही थी। सिर्फ कुमाऊं मंडल में गाडिय़ां चल रही थी। इसलिए रोडवेज के लिए कभी घाटे का सौदा कहे जाने वाले पहाड़ के रूट इस समय कमाई के मार्ग बने थे।