नौ साल बाद खुली हरिद्वार बाईपास रोड चौड़ीकरण की राह, पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। करीब नौ साल तक जनता को दर्द देने के बाद आखिरकार हरिद्वार बाईपास रोड के चौड़ीकरण की राह खुल गई है। फरवरी 2021 में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने चौड़ीकरण का शासनादेश जारी कर दिया था और अब राष्ट्रीय राजमार्ग खंड डोईवाला की निविदा प्रक्रिया समाप्ति की तरफ है। तकनीकी निविदा प्रक्रिया पूरी कर दी गई है और वित्तीय निविदा के लिए अंतिम तिथि 30 जून तय की गई है।

राजमार्ग खंड के अधिशासी अभियंता ओपी सिंह के मुताबिक करीब चार किमी लंबी बाईपास रोड के अधूरे चौड़ीकरण कार्य के लिए 42 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया है। वर्तमान योजना के तहत राजमार्ग को आइएसबीटी फ्लाईओवर से अजबपुर रेलवे ओवरब्रिज तक चौड़ा किया जाएगा। वित्तीय निविदा प्रक्रिया पूरी होने के बाद निर्माण कंपनी का चयन किया जाएगा और जल्द से जल्द अनुबंध तैयार कर चौड़ीकरण कार्य को पूरा करने के लिए 18 माह का समय दिया जाएगा।

चौड़ीकरण का कार्य इसलिए भी जल्द से जल्द शुरू होना जरूरी है, क्योंकि बीते कुछ सालों में इस राजमार्ग पर वाहनों का 100 फीसद दबाव बढ़ गया है। पूर्व के ठेकेदार अमृत डेवलपर को ब्लैक लिस्ट करने से पहले चौड़ीकरण की दिशा में रोड कटिंग संबंधी कुछ काम किए गए थे। इसके चलते सड़क दोनों तरफ ऊंची-नीची हो गई है। जिससे यहां आए दिन हादसे भी होते रहते हैं। वहीं, राजमार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ने से हर समय जाम की स्थिति भी बनी रहती है।

तीन चौक होंगे व्यवस्थित

राजमार्ग चौड़ीकरण योजना के तहत मोथरोवाला चौक, पुरानी पुलिस चौकी चौक व सरस्वती विहार चौक को व्यवस्थित कर रोटरी का निर्माण किया जाएगा। वर्तमान में इन चौक पर यातायात अव्यवस्थित रहता है। सबसे अधिक हालात मोथरोवाला चौक पर खराब हैं।

14.21 करोड़ का काम महज 11.81 करोड़ में देने से फंसा था मामला

हरिद्वार बाईपास रोड के चौड़ीकरण पर ग्रहण लगने की शुरुआत तभी हो गई थी, जब इसके टेंडर जारी किए गए थे। राष्ट्रीय राजमार्ग खंड, रुड़की (अब डोईवाला) ने चौड़ीकरण कार्य की लागत 14.21 करोड़ रुपये आंकी थी। इसी आधार पर वर्ष 2012 में टेंडर मांगे गए थे, मगर सबसे कम दर आई 11.81 करोड़ रुपये। यह बाजार दर से भी करीब 17 फीसद कम थी। ऐसे में तकनीकी समिति को यह देखना था कि इतनी कम दर पर काम हो भी पाएगा या नहीं। बिना उचित आकलन के अधिकारियों ने रेसकोर्स के अमृत डेवलपर्स के टेंडर को हरी झंडी दे दी। जिसका असर यह हुआ कि अनुबंध (सितंबर 2012) के बाद भी काम की प्रगति नगण्य रहने पर ठेकेदार पर पेनाल्टी लगा दी गई थी। साथ ही ठेकेदार से काम भी छीन लिया गया था। इसके खिलाफ ठेकेदार ने हाईकोर्ट में वाद दाखिल कर दिया था। कोर्ट के आदेश पर ठेकेदार को काम करने का एक अवसर और दिया गया था, मगर इसके बाद भी काम नहीं हो पाया। तभी से यह मामला कोर्ट में लंबित चल रहा था। जब कोर्ट ने केस का निस्तारण किया, तब जाकर केंद्र ने भी नए सिरे से टेंडर करने की स्वीकृति प्रदान की। हालांकि, पुराने ठेकेदार को अधूरे कार्य के लिए भी 2.41 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इस तरह राजमार्ग चौड़ीकरण की परियोजना सरकारी धन की बर्बादी के साथ जनता के लिए भी मुसीबत बनी रही।’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *