दो सौ से ज्यादा परिंदो की हूबहू आवाज निकालने में माहिर हैं राजेश भट्ट

उत्तराखंड नैनीताल

रामनगर। हुनर और कोशिश आपको अलग पहचान दिखाती है। कुछ ऐसी ही अनोखे हुनर की सख्शियत हैं पर्यावरण और वन्‍यजीव प्रेमी राजेश भट्ट। राजेश के पास एक अनूठी कला है। वह दो सौ से अधिक परिंदों की आवाज निकाल लेते हैं। अपने इसी हुनर की बदौलत वह लोगों के दिलों-दिमाग में छा जाते हैं। उनकी आवाज सुनकर पशु-पक्षी भी एक पल को ठहर जाते हैं।

जंगल और वन्‍यजीवों को समर्पित कर दिया जीवन

राजेश भट्ट ने अपना सारा जीवन जंगल और वन्यजीवों को समर्पित कर दिया है। उनका मानना है कि इनके बारे में जितना ही जान-समझ लिया जाए कम ही है। राजेश जंगल और वन्यजीवों के प्रति आम लोगों की समझ को भी बेहतर करने का प्रयार कर रहे हैं। जहाँ भी पक्षियों के बारे में कार्यशाला होती है, वहाँ राजेश भट्ट अपनी उपस्थिति दर्ज की कराने पहुंच जाते हैं। जहां वे दूसरों से अपनी जानकारी साझा करने के साथ विशेषज्ञों से सीखते भी हैं। खासकर पक्षियों के बारे में उनकी जानकारी से हर कोई हतप्रभ रह जाता है।

स्कूली बच्चों को करते हैं जागरूक

अक्सर स्कूली बच्चों को जल-जंगल और जमीन के अलावा नए परिंदों की जानकारी देना राजेश का शगल है। वन्यजीवों और पक्षियों के संबंध में वह बच्चों की हर जिज्ञासा को शांत करते हैं। राजेश को बचपन से ही जंगल और पशु पक्षियों से बेहद लगाव रहा। कहते हैं बचपन में स्कूल से आते जाते जंगल को देखकर मुग्ध हो जाया करते थे। जंगली जीवों खासकर पक्षियों का कलरव मुझे बड़ा सुहाता है।

शिक्षा पर शौक की झलक

अर्थशास्त्र और राजनीति विज्ञान में पीजी करने के बाद राजेश ने पर्यावरण विज्ञान और पर्यटन से स्नातकोत्तर में डिप्लोमा किया। इसके अलावा इको टूरिज्म व ट्रेवल मैनेजमेंट से भी डिप्लोमा है। राजेश ने एडवेंचर बेसिक प्रशिक्षण के तहत पक्षी गाइड, मानव-वन्यजीव संघर्ष व तितली और पतंगों आदि के बारे में भी प्रशिक्षण लिया है। राजेश ने अपने इसी हुनर को अपनी रोजी-रोटी का जरिया भी बना लिया है।

1995 में रेनबो फ्रेंड्स ऑफ नेचर

राजेश ने 1995 में अपनी संस्था रेनबो फ्रेंड्स ऑफ नेचर का गठन किया। इसके माध्यम से उन्‍होंने पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति प्रेम की अलख सैकड़ों स्कूली छात्रों में जगाई। इसके तहत बच्चों के जंगल भ्रमण कार्यक्रम, पक्षी अवलोकन, तितली पतंगों सम्बन्धी कार्यशाला आदि कार्यक्रम आयोजित किए गए। रेनबो ने बच्चों का परिचय वन्यजीवों के अद्भुत संसार से कराया। इस दिशा में उनका प्रयास निरंतर जारी भी है।

पशु पक्षियों में रमता संसार

वन्यजीवों के जीवन को गहराई से समझने के जुनून ने राजेश को पशु-पक्षियों की दुनिया का बाशिंदा बना दिया। जंगल में रहकर राजेश को तमाम पशु पक्षियों के व्यवहार और आवाजों का जबरदस्त ज्ञान हो गया। राजेश गोल्डन ओरियोल, पाईड हॉर्नबिल, ब्लू व्हिसलिंग थ्रस, बटेर, तीतर, ईगल,रॉबिन,पित्ता, फ्लाई कैचर,कलीज़ फिसेन्ट, जैसे अनेक पक्षियों की आवाज़ हूबहू निकाल लेते हैं। इसके अलावा कई तरह की मशीनों जैसे टाइपराइटर, ट्रेन आदि की आवाज़ भी निकलने में माहिर हैं।

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