कोरोना के चलते इस बार पंचेश्वर में एंगलिंग के लिए नहीं पहुंचे विदेशी पर्यटक

उत्तराखंड चंपावत

चंपावत। कोरोना महामारी का असर इस बार मत्स्य आखेट पर भी पड़ा। बीते वर्ष सितंबर से इस वर्ष जून माह तक चले सीजन में कोई भी विदेशी पर्यटक एंगलिंग के लिए पंचेश्वर नहीं पहुंचा। दिल्ली, लखनऊ, देहरादून, नैनीताल आदि स्थानों से आए पर्यटकों ने ही काली नदी में एंगलिंग की। 30 जून को एंगलिंग सीजन का समापन हो गया। अंतिम दिन दिल्ली से पहुंचे एंगुलरों ने 60 पौंड वजनी महासीर को पकड़ कर पानी में छोड़ा। मत्स्य आखेट का अगला सीजन सितंबर से शुरू होगा।

पांच नदियों का संगम पंचेश्वर क्षेत्र में बहने वाली महाकाली नदी महाशीर मछली का पनाहगाह मानी जाती है। अंग्रेजी शासन काल से ही पंचेश्वर क्षेत्र मत्स्य आखेट के लिए देश में ही नहीं विश्व में प्रसिद्ध रहा है। विश्व प्रसिद्ध एंगलर व शिकारी जिम कार्बेट, जनरल रोटिक्स समेत एंगलिंग के शौकीन कई अन्य अंग्रेज भी यहां मत्स्य आखेट के लिए पहुंचते थे। हर साल सितंबर माह से जून तक यहां दुर्लभ प्रजाति की महाशीर मछली के आखेट के लिए एंगलरों का जमावड़ा रहता है।

वर्ष 2002 में यहां इंडियन फिश कंजरवेशन ने इंटरनेशनल एंगलर मीट का आयोजन किया था। जिसके बाद से यहां देशी व विदेशी एंगलरों की संख्या बढऩी शुरू हुई। लेकिन कोरोना महामारी के चलते गत सीजन में यहां कोई भी विदेशी एंगलर आखेट के लिए नहीं पहुंचा। दिल्ली, देहरादून, लखनऊ एवं नैनीताल समेत देश के अन्य हिस्सों से एंगलर आए लेकिन उनकी संख्या भी सीमित रही। अंतिम दिन 30 जून को दिल्ली से आए देवेंद्र सचदेवा, हरिओम सिंह आदि ने 60 पौंड की महाशीर को पकड़कर उसे सकुशल पानी में छोड़ा।

महाशीर संरक्षण समिति के अध्यक्ष होशियार सिंह ने बताया कि गत सीजन में युवक मंगदल मल्ला खाइकोट पंथ्यूड़ा एवं महाशीर संरक्षण समिति पंचेश्वर को मत्स्य आखेट के लिए बीट आवंटित की गई थी। बताया कि कोरोना महामारी के कारण एंगलिंग सीजन में देश के विभिन्न हिस्सों से 28 एंगलर ही यहां पहुंच पाए। इस बार कोई भी विदेश एंगलर नहीं आया। एंगलरों की संख्या कम होने से इस कार्य से जुड़े लोगों का रोजगार भी प्रभावित रहा। उन्होंने बताया कि जुलाई माह से महाशीर मछली का ब्रीडिंग सीजन शुरू हो जाता है। जिस कारण एंगलिंग पर प्रतिबंध है। सितम्बर माह से फिर एंगलिंग चालू होगी। उन्होंने प्रशासन एवं वन विभाग से आगामी सीजन में नदी के बीट आवंटन की प्रकिया को बढ़ाए जाने की मांग की है, ताकि स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके।

महाकाली नदी महाशीर का सुरक्षित आशियाना

पंचेश्वर में धौली, गोरी, सरयू, पनार एवं काली इन पांच नदियों का संगम है। पूरी नदी महाकाली नदी के नाम से जानी जाती है। यह नदी भारत और नेपाल सीमा का विभाजन भी करती है। नदी का पानी साफ सुथरा होने के कारण यहां बड़ी संख्या में महाशीर मछली पाई जाती हैं। जिले की अन्य नदियों में लोग डाइनामाइट का प्रयोग कर मछली का अवैध शिकार कर रहे हैं, लेकिन यहां महाशीर संरक्षण समिति की देखरेख के चलते मछलियां सुरक्षित हैं। एंगलिंग के लिए वन विभाग की अनुमति लेनी जरूरी है। यहां एंगलरों के लिए विशेष सुविधाएं नहीं होने के कारण उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है।

 

 

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