फ्रांस के बीजों से होगी भांग की खेती

उत्तराखंड बागेश्वर

बागेश्वर। जिले में रोजगार सृजन और काश्तकारों की आय दोगुना करने के उद्देश्य से भांग की खेती का लाइसेंस हिमालयन मॉक को मिल गया है। हैंप कल्टीवेशन पायलट प्रोजेक्ट के तहत कंपनी फ्रांस से भांग के बीज मंगा कर खेती करेगा। इंडस्ट्रिय हैंप या भांग की खासियत यह होगी कि इसमें टेट्रा हाइड्रो केनबिनोल यानि नशे की मात्रा 0.3 प्रतिशत होती हैं।

भांग की खेती का पहला लाइसेंस गरुड़ तहसील के भोजगण निवासी प्रदीप पंत को दिया गया है। जल्द ही यहां पर नशाविहीन भांग की खेती शुरू हो जाएगी। फ्रांस से भांग के बीज मंगाए जा रहे है। जिसमें नशे की मात्रा 0.3 प्रतिशत से भी कम होती है। इसके साथ उनका एक मेडिकल कंपनी के साथ भी करार अंतिम चरण पर है। प्रदेश के पहाड़ी जिलों पिथौरागढ़, चम्पावत आदि स्थानों से भी काश्तकार कंपनी से संपर्क कर रहे हैं। पहाड़ में कई किसानों ने जंगली जानवरों के कारण कृषि करना छोड़ दिया है। अधिकतर कृषि योग्य जमीन बंजर हो गई है। भांग की खासियत यह है कि इसे जानवर नुकसान नही पहुंचाते हैं।

लाइसेंसधारी प्रदीप पंत ने कहा कि वह भांग की खेती के साथ ही पहाड़ के अन्य उत्पादों पर भी काम करेंगे। इसके अलावा भांग की प्रोसेसिग यूनिट आदि भी गांव में लगाने का लक्ष्य है। जिससे स्थानीय लोगों को अधिकाधिक रोजगार सृजन होगा। भांग है बहुपयोगी

भांग से बनने वाले सीबीडी असयल का प्रयोग साबुन, शैंपू व दवाइयां बनाने में किया जाएगा। भांग से निकलने वाले सेलूलोज से कागज बनेगा व हैंप प्लास्टिक तैयार होगी। जो बायोडिग्रेडेबिल होगी। हैंप फाइबर से कपड़े बनाए जाएंगे। हैंप प्रोटीन बेबी फूड, बाडी बिल्डिग में प्रयोग होगा। हैंप ब्रिक वातावरण को शुद्ध करेगा। यह कार्बन को खींचता है। सजावटी सामान बनाए जाएंगे। मसाले में इसका प्रयोग होगा। तने से बायोफ्यूल भी तैयार होगा।

 

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