देहरादून। गढ़वाल और कुमाऊं दोनों मंडलों को प्रदेश के भीतर ही सीधे आपस में जोडऩे वाली कंडी रोड (रामनगर-कालागढ़- चिलरखाल-लालढांग) के चिलरखाल- लालढांग हिस्से में बनने वाले पुलों की ऊंचाई छह मीटर होगी। वन्यजीवों क आवाजाही के लिए कुल 400 मीटर भाग में ही पुलों का निर्माण कराया जाएगा। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की 11 जून को हुई 63वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया था।
अब प्रदेश शासन को इसका कार्यवृत्त मिल गया है। कैबिनेट मंत्री एवं कोटद्वार क्षेत्र के विधायक डा हरक सिंह रावत के अनुसार पुलों का काम जल्द ही शुरू होगा। कोशिश है कि बरसात के तुरंत बाद लालढंाग-चिलरखाल मार्ग पर डामरीकरण का कार्य पूर्ण हो जाए। इससे कोटद्वार से हरिद्वार, देहरादून आने-जाने वालों को सहूलियत मिलने के साथ ही धन व समय की बचत भी होगी। सरकार ने पूर्व में राजाजी टाइगर रिजर्व से सटे लैंसडौन वन प्रभाग के अंतर्गत आने वाले 11 किमी लंबे लालढांग-चिलरखाल मार्ग के निर्माण का फैसला लिया। लोनिवि को कार्यदायी संस्था बनाने साथ ही उसे गैरवानिकी कार्यों के लिए वन भूमि हस्तांतरित कर दी गई थी। बाद में इस सड़क का मसला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने इसके निर्माण पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देशित किया था कि यदि वह सड़क बनाना चाहती है तो राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से नियमानुसार अनुमति ले।
यह अनुमति मिलने के बाद सड़क के निर्माण में पुलों की ऊंचाई को लेकर मामला अटक गया। राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने इस सड़क पर चमरिया मोड़ से सिगड्डी स्रोत तक 4.7 किलोमीटर के हिस्से के बीच 705 मीटर लंबाई में पुल बनाने और इनकी ऊंचाई आठ मीटर रखने के निर्देश दिए। प्रदेश सरकार की ओर से ऊंचाई के मानक में शिथिलता देने के लिए फिर से बोर्ड का दरवाजा खटखटाया। सरकार के आग्रह पर बोर्ड की ओर से गठित कमेटी ने सभी पहलुओं से पड़ताल कर अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंपी। 11 जून को हुई बोर्ड की स्टैंडिंग कमेटी की बैठक में चमरिया मोड़ से सिगड्डी स्रोत के बीच 400 मीटर की लंबाई के पुल बनाने और इनकी ऊंचाई छह मीटर रखने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। इस सड़क के लिए निरंतर प्रयासरत रहे कैबिनेट मंत्री एवं कोटद्वार क्षेत्र के विधायक डा हरक सिंह रावत ने कहा कि अब मार्ग के निर्माण में किसी प्रकार की कोई अड़चन नहीं है।
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