पिथौरागढ़: विधान सभा चुनाव को करीब देखकर उत्तराखंड में राजनीतिक पार्टियां मुफ्त बिजली देने के बड़े-बड़े दावे कर रही हैं। राज्य के लोगों को सुंदर सपने दिखाए जा रहे हैं, लेकिन पर्वतीय राज्य की हकीकत किसी से छिपी नहीं है। बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस जाने वाले उत्तराखंड में 17 सालों से 12 परिवार स्कूल में रात गुजार रहे हैं। मामला पिथौरागढ़ जिले के मुनस्यारी ब्लॉक के एक गांव का है। मानसून सीजन के दौरान चार महीने तक ग्रामीण परिवार के साथ स्कूल में रात गुजारते हैं। सुबह गांव आने के बाद दिनभर घर के काम निपटा रात का भोजन करने के बाद सोने के लिए स्कूल भवन में चले जाते हैं। 17 वर्षों से यही चल रहा है। लेकिन निर्मम व्यवस्था को आज उनकी तकलीफ समझ में नहीं आई।
2004-05 में हुआ था भारी भूस्खलन
मुनस्यारी में मदकोट-बौना मार्ग पर स्थित है झापुली गांव। गांव में वर्ष 2004-05 में भारी भूस्खलन हुआ था। आपदा के कारण 12 परिवार खतरे में आ गए। मानसून काल में इन परिवारों के आसपास भूकटाव का खतरा बना रहता है। 17 वर्ष साल आई आपदा में इस गांव के सात परिवार बाल-बाल बचे थे। इन परिवारों के मकान ध्वस्त हो गए थे। पांच परिवारों के मकान पूरी तरह खतरे में आ गए थे। गांव की खेती योग्य भूमि बह गई थी। प्रतिवर्ष मानसून काल में गांव में भारी भूस्खलन होता है। रात को अनहोनी के भय से सभी परिवार प्राथमिक विद्यालय झापुली के भवन में सोने चले जाते हैं।
तीन सरकारें बदलीं, नहीं हुआ पुनर्वास
सुबह गांव लौटने के बाद खेती सहित घर के कार्यो में जुट जाते हैं। सायं को जल्द खाना बनाकर खाने के बाद सभी परिवार सोने के लिए गांव से लगभग दो सौ मीटर दूर स्थित प्राथमिक विद्यालय में सोने चले जाते हैं। इस अवधि में प्रदेश में तीन सरकारें बन चुकी हैं लेकिन झापुली गांव के 12 परिवारों को सुरक्षित स्थान पर विस्थापन नहीं किया गया। इस संबंध में क्षेत्र के युवा समाजसेवी विक्रम दानू ने वर्ष 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन सौंपा। जिला प्रशासन को प्रतिवर्ष विस्थापन के लिए ज्ञापन दिया जाता है। सिंचाई विभाग से परिवारों की सुरक्षा हेतु सुरक्षा दीवार की मांग की गई । इधर, अब प्रदेश में नए सीएम बनने के बाद ग्रामीणों को विस्थापन की आस जगी है। विक्रम दानू के नेतृत्व में ग्रामीणों ने मुनस्यारी पहुंच कर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा है।