हल्द्वानी : एक ओर भू-कानून की मांग पूरे प्रदेश में मुखर है। इंटरनेट मीडिया से लेकर सड़कों तक आंदोलन शुरू हो गया है। हिमाचल की तर्ज पर भू-कानून की मांग उठी है। इसे लेकर सत्तारूढ़ दल असहज है तो अन्य विपक्षी दल मुद्दा बनाए हुए हैं। वहीं, नैनीताल जिले के ही पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि की बिक्री की स्थिति देखें तो छह महीने में 2032 लोगों को जमीनें बेची गई। यानी प्रतिदिन औसतन 11 लोगों ने रजिस्ट्री कराई। भूमि को खरीदने में अधिकांश बाहरी लोग शामिल रहे। भूमि बिकने का सिलसिला अब भी जारी है।
इन क्षेत्रों में जमीनों की अधिक बिक्री
जिले के पर्वतीय क्षेत्रों के लिए नैनीताल व धारी में जमीनों की रजिस्ट्री होती है। लॉकडाउन के समय यानी मार्च में नैनीताल में 510 लोगों ने जमीन खरीदी। इसमें तल्ला रामगढ़, मल्ला रामगढ़, सतबूंगा, मेहरा गांव, सतौली, श्यामखेत, जून एस्टेट, सांगुड़ी गांव शामिल हैं। वहीं, धारी वाले कार्यालय में 90 लोगों की रजिस्ट्री हुई। इसमें चौबाटा, धानाचूली, सुंदरखाल, कूमागढ़ आदि क्षेत्र शामिल हैं।
भू-कानून को लेकर भड़की है आग
इंटरनेट मीडिया पर राज्य का अपना सख्त भू-कानून बनाने की मांग की जा रही है। हर दिन सैकड़ों ट्वीट, फेसबुक पोस्ट और ब्लॉग लिखेे जा रहे हैं। युवा अधिक आक्रामक हैं। घर-घर जागरूकता अभियान भी शुरू हो गया है। पिछले दिनों हल्द्वानी, लालकुआं के अलावा कुमाऊं के अन्य नगरों में आंदोलन हो चुके हैं। युवाओं का कहना है कि पहाड़ की अस्मिता, संस्कृति को बचाना है तो भू-कानून लाना ही होगा।
जमीनें बिकवाने में अपने ही शामिल
ऐसा नहीं कि जमीनें खरीदने के लिए सीधे बाहर के लोग आ गए। अपने ही क्षेत्र के तमाम सक्रिय और कथित नेताओं ने बाहरी लोगों को जमीनें बेचने में अहम भूमिका निभाई है। भले ही ऐसे कुछ नेता अब आंदोलन में भी सक्रिय नजर आ रहे हैं।
पिछले छह महीने में हुई रजिस्ट्री का विवरण
क्षेत्र जनवरी फरवरी मार्च अप्रैल मई जून
नैनीताल 313 317 510 180 55 327
धारी 62 79 90 39 17 43