देहरादून। उत्तराखंड में मानसून से दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं। भारी बारिश के कारण पर्वतीय इलाकों में जगह-जगह भूस्खलन हो रहा है। इससे सड़कें खतरनाक हो गई हैं। भूस्खलन होने से कई मार्ग अवरुद्ध भी हैं। 50 से अधिक गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क पूरी तरह कटा हुआ है। इससे वहां रसद व अन्य सामान की आपूर्ति भी नहीं हो पा रही। चमोली में बारिश और भूस्खलन के कारण बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त होने से कई गांवों में दो दिन से बिजली गुल है। नदियों का जलस्तर बढ़ा हुआ है और जल विद्युत परियोजनाओं में उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है। मौसम विभाग के मुताबिक प्रदेश के कई इलाकों में अभी भारी बारिश का क्रम जारी रहेगा।
राज्य में बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग झड़कुला के समीप करीब 200 मीटर तक भूस्खलन की जद में है। तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना की सुरंग के पास हुए भूस्खलन से राजमार्ग को खासा नुकसान पहुंचा है। मार्ग पर आवाजाही पूरी तरह ठप है। अन्य पर्वतीय जिलों में भी कई संपर्क मार्ग बाधित हैं।
उधर, कुमाऊं में रविवार को कहीं-कहीं जोरदार बारिश हुई। भूस्खलन से पिथौरागढ़ जिले के थल-मुनस्यारी मार्ग में वनिक के पास स्थिति बेहद खराब है। यहां पहाड़ से लगातार पत्थर गिर रहे हैं। इस कारण यह मार्ग लगातार तीसरे दिन यातायात के लिए बंद रहा। वाहन डीडीहाट-जौलजीबी-मदकोट होते हुए मुनस्यारी पहुंच रहे हैं। वहीं, तवाघाट-सोबला-दारमा मार्ग 53 दिन से बंद है। दूसरी तरफ, टनकपुर-पूर्णागिरि मार्ग के 22 दिन बाद सुचारू होने से श्रद्धालुओं की आवाजाही शुरू हो गई है।
लगातार हो रही बारिश से भिलंगना और भागीरथी नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है। इससे टिहरी झील का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। रविवार को झील का जलस्तर 804.70 मीटर तक पहुंच गया। चेतावनी रेखा 830 मीटर पर है। रविवार को झील से 356 क्यूमेक्स पानी छोड़ा गया।
मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के मुताबिक अगले दो दिन देहरादून, नैनीताल, बागेश्वर, चंपावत और पिथौरागढ़ में गरज के साथ भारी बारिश हो सकती है। अन्य जिलों में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं।