खेती से हुआ नुकसान तो ईको टूरिज्‍म ने बदल दी इन युवाओं की किस्‍मत, अब 35 से 40 लाख हो रही सालाना आय

उत्तराखंड नैनीताल

रामनगर। हर राज्‍य की अपनी एक अलग पहचान है। उत्‍तराखंड अपने नैसर्गिक सौंदर्य और धार्मिक स्‍थालों और कार्बेट टाइगर नेशनल पार्क के कारण जाना जाता है। यहां हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक देश-विदेश से घूमने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में यहां रोजगार के लिहाज से टूरिज्‍म सेक्‍टर में असीम संभावनाएं हैं। कुछ यही सोचकर नैनीताल जिले के रामगगर निवासी तीन युवाओं ने अपने सुनहरे भविष्‍य का सपना देखा है। उन्‍हें जब अपनी जमीन पर खेती में कोई फायदा नहीं हुआ तो दो एकड़ जमीन पर ईको टूरिज्‍म पर आधारित मड हाउस तैयार कर दिया। नतीजा अब उनकी सलाना आय 35 से 40 लाख तक हो गई है। उन्‍होंने गांव के 25 परिवार के लोगों को रोजगार भी दे रखा है।

खेती से हुआ नुकसान तो शुरू किया कारोबार

उत्तराखंड में ईको टूरिज्म की अवधारणा को रामनगर क्यारी गांव निवासी दो भाई नवीन उपाध्याय व चंद्रशेखर उपाध्याय साकार कर रहे हैं। उन्‍हें जब जंगली जानवरों की वजह से अपनी दो एकड़ भूमि पर खेती से नुकसान होने लगा तो अपना रोजगार करने की ठानी। गांव के ही राजेंद्र सती को भी उन्होंने अपने साथ जोड़ा। बैंक से छह लाख का लोन लेकर पांच टेंट से कारोबार की शुरुआत की। कारोबार का कांसेप्‍ट पूरी तरह से ईको टूरिज्‍म पर रखा। मड हाउस बनाने के साथ उन्‍होंने पूरा ग्रामीण परिवेश तैयार किया। छोटी पूंजी से शुरू हुए रोजगार ने अब उनकी किस्‍मत बदल दी है।

कैंप का नाम हार्नबिल पक्षी के नाम पर

उपाध्‍याय बंधुओं का जब कारोबार बढ़ता गया तो धीरे-धीरे करके पर्यटकों के रहने के लिए ईको फ्रेंडली मड कॉटेज में नौ कमरे बनाए। साफ सुथरे अंदाज में बनाए गए मिट्टी के कमरे परपंरागत पहाड़ों के पुराने घरों की याद ताजा करते हैं। कैंप का नाम हार्नबिल पक्षी के नाम पर रखा है, जबकि हर कॉटेज का नाम पक्षियों के नाम पर ही है। नवीन उपाध्याय ने बताया कि उनका कैंप समुदाय आधारित व वाइल्ड लाइफ पर्यटन व ग्रामीण विकास को बढ़ावा देता है।

नहर में स्वीमिंग पुल का मजा

कैंप में आने वाले पर्यटक गांव के परिवेश का पूरा आनंद उठा सकें इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है। कमरों में एसी की सुविधा नहीं दी गई है। नहाने के लिए स्वीमिंग पुल भी नहीं बनाया है। गांव की पुरानी नहर में ही लाइफ जैकेट पहनाकर पर्यटकों को स्वीमिंग कराई जाती हैं। पर्यटकों को गांव में साइकिलिंग कराने के अलावा जंगल में नेचर वाक कराई जाती है।

अपना जंगल कर रहे विकसित

नवीन बताते हैं कि कैंप में अपनी जमीन पर जंगल बनाने के लिए 40-50 प्रजाति की वनस्पति व पौधे उगा रहे हैं। कई पुराने पेड़ हैं। कैंप को एक जंगल का रूप दिया जा रहा है। विलेज इंटरेक्शन यानी पर्यटकों को गांव के ही किसी एक घर में भोजन भी कराया जाता है। जिससे कि वह गांव के खान-पान व रहन-सहन को जान सकें। सुबह व शाम को बर्ड वाचिंग कराई जाती है। कैंप में पर्यटकों को कुमाऊंनी खाना भी परोसा जाता है।

 

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