रुद्रप्रयाग में जान की बाजी लगाकर कोरोना संक्रमितों की सेवा में जुटे रहे डा. संजय तिवारी

उत्तराखंड रुद्रप्रयाग

रुद्रप्रयाग। कोरोना के संकट के समय अपनी जीवन की बाजी लगाकर मरीजों की दिन-रात सेवा का संकल्प लेने वाले डा. संजय तिवारी आज भी ईमानदारी से अपने काम को अंजाम देने में जुटे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में वह स्वयं और उनका पूरा परिवार भी संक्रमित हो गया था। 17 दिन तक बीमार रहने के बाद फिर से वह संक्रमित मरीजों की सेवा में जुट गए। गंभीर दौर में 24 घंटे ड्यूटी देते रहे और आठ सौ से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार किया।

वरिष्ठ फिजीशियन डा. संजय तिवारी ने कोटेश्वर स्थित कोविड सेंटर की जिम्मेदारी संभाली थी और शुरुआत से कोरोना संक्रमितों की सेवा में जुट गए थे। जिले में 23 मई 2020 को पहला मामला आया, तब से लेकर लगभग एक वर्ष से भी अधिक समय तक आठ सौ से अधिक कोरोना मरीजों का सफल उपचार कर उनकी जान बचाई। यही नहीं, डा. तिवारी कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार करते-करते न केवल खुद बल्कि उनका पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया था। इसमें छह महीने की बच्ची भी शामिल थी।

22 अप्रैल 2021 को डा. तिवारी भी कोरोना संक्रमित हो गए। उनके साथ उनकी पत्नी सीमा, छह महीने की बच्ची व 14 वर्ष की बेटी भी संक्रमित हो गए। डा. तिवारी व दोनों बच्चे तो एक सप्ताह में ठीक हो गए, लेकिन पत्नी सीमा को आक्सीजन की जरूरत पड़ी। स्थिति काफी खराब हुई, आक्सीजन का स्तर कम हो गया। 17 दिन तक पूरा परिवार क्वारंटाइन रहने के बाद ठीक हुआ। पत्नी व बच्चों का हौसला बढ़ाकर डा. तिवारी फिर से कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा में जुट गए। नियमित रूप से कोराना केयर सेंटर कोटेश्वर में मरीजों का उपचार करते रहे।

डा. तिवारी से स्टाफ भी हुआ प्रेरित

कोरोना के खिलाफ डा. तिवारी की जंग से उनका मेडिकल स्टाफ भी काफी प्रभावित हुआ और उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा में जुटा रहा। डा. तिवारी के साथ कोटेश्वर में कोरोना के खिलाफ जुटे नर्स, फार्मेसिस्ट, डाक्टरों ने भी कड़ी मेहनत की और जनपद में कोरोना के खिलाफ जंग को सफल बनाया।

कोरोना के खिलाफ जंग में एकजुटता जरूरी

डा. संजय तिवारी कहते हैं कि वह कोविड सेंटर कोटेश्वर में कोरोना के शुरू होने से पहले ही तैयारियों में जुट गए थे। पूरे मेडिकल स्टाफ ने अपना सौ फीसद योगदान दिया। पूरा परिवार कोरोना संक्रमित होने से उनकी पत्नी कुछ डरी हुई थी, उन्हें ठीक होने में 17 दिन लग गए। आक्सीजन देना पड़ा। लेकिन फिर उन्होंने भी हिम्मत बांधी और वह पूरे जोश के साथ कोरोना मरीजों की सेवा में जुट गए। बताया कि कोरोना की इस जंग में सभी को मिलकर लडऩा है। सभी को सरकार की ओर से जारी कोविड नियमों का पालन करना है। तभी हम सब और परिवार सुरक्षित रहेगा।

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