हल्द्वानी :कोरोना महामारी से मृत लोगों को छूने से जब अपनों ने ही परहेज किया तो हल्द्वानी के तीन युवाओं ने उन्हें श्मसान घाट पहुंचाया। मोर्चरी परिसर से शमशान घाट तक करीब 300 से ज्यादा शवों को पहुंचाने वाले युवक बिना किसी शोर के आज भी अपनी ड्यूटी कर रहे हैं।
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने सबसे ज्यादा लोगों को मौत की आगोश में लिया। डा. सुशीला तिवारी मेडिकल कॉलेज से करीब एक हजार मृतकों को मोर्चरी भेजा गया, जहां से शमशान घाट ले जाने के लिए स्वजनों की हिम्मत भी जबाब दे गई। ऐसे में मेडिकल कॉलेज स्थित मोर्चरी में अटेंडेंट की जिम्मेदारी निभा रहे अर्जुन, राहुल व उनके मामा बबलू ने बेझिझक शवों को राजपुरा घाट स्थित श्मसान पहुंचाया। उनके इस कार्य की हर कोई तारीफ कर रहा है।
छू भी नहीं सका कोरोना संक्रमण
कोरोना संक्रमित शवों के बीच कर्तव्य का निर्वहन कर रहे अर्जुन, राहुल व बबलू को कोरोना छू भी नहीं सका। जिसके लिए उन्होंने पीपीई किट, फेस मास्क, पौष्टिक आहार, साफ-सफाई आदि का पूरा ध्यान रखा। अर्जुन ने बताया कि घर जाने से पहले वह नियमित रूप से स्नान करते थे।
दो माह तक स्वजनों से रहे दूर
कोरोना संक्रमित शवों के बीच में कार्य कर रहे राहुल ने बताया कि अप्रैल व मई माह में संक्रमण सबसे ज्यादा था। ऐसे में तीनों ने पत्नी, बच्चों व माता-पिता से अपेक्षित दूरी बनाए रखी। जिससे उन्हें किसी तरह के संक्रमण से नहीं गुजरना पड़े।