जीबी पंत संस्थान के वैज्ञानिक तैयार कर रहे रोगमुक्त अदरक का बीज, अंतिम चरण में पहुंचा शोध

उत्तराखंड देहरादून

गरमपानी : ताड़ीखेत व बेतलाघाट ब्लॉक के किसानों को बीमारी रहित अदरक का बीज उपलब्ध होगा। गोविंद बल्लभ पंत प्रौद्योगिकी संस्थान मझेड़ा में इस पर शोध अंतिम चरण में पहुंच गया है। शोध पूरा होते ही कुछ चयनित किसानों को बीमारी रहित अदरक का बीच परीक्षण के रूप में दिया जाएगा। बेहतर परिणाम मिलने के बाद फिर अन्य किसानों को बीज वितरित किया जाएगा।

ताड़ीखेत व बेतालघाट ब्लॉक के तमाम गांवों में अदरक की बेहतर पैदावार होती है, पर कई गांवों में अदरक में बीमारी लगने से किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। अब किसानों के लिए राहत भरी खबर है। इसके लिए गोविंद बल्लभ पंत अनुसंधान केंद्र में टिशु कल्चर (पादप उत्तक संवर्धन) के तहत शोध अंतिम चरण में पहुंच गया है।

खास बात यह है कि इस बीमारी रहित अदरक के बीज की समयावधि भी कम की जा रही है। विज्ञानी प्रयास कर रहे हैं कि छह से आठ महीने में ही किसानों को उपज मिल सके। शोध में जुटी गोविंद बल्लभ पंत अनुसंधान केंद्र की वरिष्ठ विज्ञानी अंजलि अग्रवाल ने दावा किया है कि पौधे से पहली पीढ़ी का बीज तैयार किया जा रहा है। फिलहाल ओखलकांडा के रिखाकोट के अदरक पर शोध प्रगति पर है।

केरल से मंगाए बीज के नहीं मिले बेहतर परिणाम

बीमारी रहित अदरक के उत्पादन के लिए शोध को केरल से भी बीज मंगाया गया। महिमा, वर्धा, राजठा प्रजाति के अदरक पर टिश्यू कल्चर से शोध किया गया पर इसके बेहतर परिणाम नहीं मिल सके। जिसको देख बाद में ओखलकांडा के रिखाकोट के आदेश पर शोध का निर्णय लिया गया।

बीमारी रहित उत्पादन से किसानों को होगा फायदा

गोविंद बल्लभ पंत अनुसंधान केंद्र मझेड़ा की वरिष्ठ विज्ञानी अंजलि अग्रवाल ने बताया कि ओखलकांडा के रिखाकोट के अदरक पर शोध किया जा रहा है। अक्सर किसानों को अदरक में बीमारी लगने से काफी नुकसान होता था। बीमारी रहित बीज का उत्पादन होगा तो आर्थिकी भी सुधरेगी।

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