कोरोना के इलाज में मरीजों से ज्यादा शुल्क वसूलने पर होगा केस

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। कोरोनाकाल में मरीजों से निर्धारित से ज्यादा शुल्क वसूलने वाले अस्पतालों के खिलाफ स्वास्थ्य विभाग ने सख्ती शुरू कर दी है। ऐसे अस्पतालों से न केवल रिकवरी की जा रही है, बल्कि पैसा लौटाने में आनाकानी करने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। मुख्य चिकित्साधिकारी की ओर से ऐसे ही मामले में शहर के एक निजी अस्पताल के खिलाफ पुलिस में तहरीर दी गई है।

दरअसल, बीते साल सरकार ने निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की दरें तय की थी। एनएबीएच प्रमाणित व सामान्य अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया था। आक्सीजन के साथ आइसोलेशन बेड, गंभीर मरीज के लिए बिना वेंटीलेटर आइसीयू और आइसीयू व वेंटीलेटर के 6400-14400 रुपये निर्धारित थे। तय दरों में सभी सुविधाएं यानी बिस्तर, भोजन और अन्य सुविधाएं, नर्सिंग देखभाल व चिकित्सकों के दौरे शामिल थे। इस सबके बाद भी अस्पतालों ने मरीजों से जमकर वसूली की। पीड़ितों की शिकायत पर स्वास्थ्य विभाग ने अस्पतालों पर रिकवरी की कार्रवाई की। दून में ही 29 अस्पतालों से अब तक डेढ़ करोड़ की वसूली की जा चुकी है। कुछ ऐसे भी अस्पताल हैं जो पैसा लौटाने में आनाकानी कर रहे हैं। उनके खिलाफ विभाग ने सख्ती बरतनी शुरू कर दी है। मुख्य चिकित्साधिकारी डा. मनोज उप्रेती का कहना है कि निजी अस्पतालों में कोरोना के इलाज की दरें तय थी। जिस भी अस्पताल ने ज्यादा पैसा लिया है उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। उन्होंने बताया कि शहर के एक निजी अस्पताल के खिलाफ तहरीर दे दी गई है।

दून में अल्ट्रासाउंड गाइडेट बायोप्सी शुरू

दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में सुविधाओं व संसाधनों में लगातार विस्तार किया जा रहा है। इसी क्रम में अब यहां बायोप्सी व एफएनएसी (फाइन निडिल एस्पिरेशन साइटोलाजी) में अल्ट्रासाउंड की मदद ली जा रही है। इसके अलावा पेट, फेफड़ों से पानी निकालने में भी अल्ट्रासाउंड मददगार बन रहा है।

दून व दून महिला अस्पताल को करीब छह साल पहले मेडिकल कालेज में तब्दील किया गया था। जिसके बाद यहां उसी अनुरूप सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि अस्पताल में रेडियोडायग्नोसिस के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. विशाल अग्रवाल ने हाल ही में ज्वाइन किया है। वह अल्ट्रासाउंड गाइडेड बायोप्सी, एफएनएसी कर रहे हैं। अल्ट्रासाउंड की मदद से बायोप्सी, एफएनएसी ज्यादा सटीक होती है। क्योंकि जिस हिस्से की बायोप्सी, एफएनएसी करनी है, वह साफ दिखता है। जटिल जगहों के लिए यह ज्यादा कारगर है।

इसके अलावा फेफड़े व पेट से पानी निकालने में भी यह मददगार है। इसमें अल्ट्रासाउंड गाइडेड प्रोसीजर कर मरीज को कैथेटर डाल दिया जाता है। जिससे सहजता से पानी निकल जाता है। निजी अस्पताल में यह प्रक्रिया दो से छह हजार रुपये में होती है। जबकि दून अस्पताल में आयुष्मान के मरीजों के लिए यह निश्शुल्क है। अन्य मरीजों से भी 356 रुपये ही लिए जा रहे हैं।

2 thoughts on “कोरोना के इलाज में मरीजों से ज्यादा शुल्क वसूलने पर होगा केस

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