दूसरे राज्यों से उत्तराखंड आने वाले वाहनों और उनसे टैक्स वसूली में बड़े गड़बड़झाले के संकेत मिल रहे हैं। सरकार ने परिवहन विभाग में वाहनों का रिकार्ड गायब होने और बेहद कम टैक्स वसूली देखते हुए पिछले पांच साल का रिकार्ड तलब किया है। इसके साथ ही परिवहन की प्रत्येक चेकपोस्ट पर प्रतिदिन हर आने जाने वाले वाहनों का ब्यौरा बनाने को कहा गया है। वाहनों की आवाजाही की जांच के लिए रोडवेज के प्रत्येक बस अड्डे पर स्पीड राडारयुक्त कैमरा लगाने का भी निर्णय किया गया है।
परिवहन सचिव डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा ने बताया कि आगामी छह सितंबर को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में परिवहन के मुद़दों पर बैठक प्रस्तावित है। इसमें एनपीआर कैमरा खरीदने पर अंतिम निर्णय किया जाएगा। टैक्स से जुड़े मामलों में कुछ अनियमितताएं सामने आई हैं। उन पर विभाग से बिंदुवार रिपेार्ट मांगी गई है। रिपोर्ट के आधार पर आगे कार्यवाही की जाएगी।
उत्तराखंड रोडवेज हर साल करीब 30 से 35 करोड़ रुपये टैक्स दूसरे राज्यों को देता है। जबकि उतराखंड का परिवहन विभाग काफी कम टैक्स वसूल रहा है। यह राशि पांच करोड तक ही बताई जा रही है। टैक्स में भारी अंतर को देख सचिव ने जब विभाग से वाहनों की संख्या और टैक्स का ब्योरा तलब किया तो अधिकारी सही जानकारी तक नहीं दे पाए। विभाग के पास दूसरे राज्यों से आने वाहनों का रिकार्ड तक नहीं है।
इसी प्रकार हाल में सचिव ने चेकपोस्टों के औचक मुआयने में देखा कि वाहनों पर जुर्माने के मुकाबले वास्तविक वसूली का ब्योरा भी आधाअधूरा है। सचिव ने बताया कि पांच साल का रिकार्ड के आधार पर अध्ययन किया जाएगा कि राज्य को कितना नुकसान हुआ है। उसके आधार पर जिम्मेदार अफसरों की जवाबदेही भी तय की जाएगी।
कामर्शिल वाहन के रूप में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या के आधार पर जितना टैक्स मिलना चाहिए, उतना भी नहीं मिल रहा है। इसी प्रकार वाहन मालिक समय पर टैक्स भी नहीं चुका रहे हैं। विभाग को नुकसान होने के बावजूद अधिकारियो का रवैया भी उदासीन है। सचिव ने दो टूक कहा कि लंबित करों की वसूली में न तो रिपोर्ट ही तैयार की जा रही है और नही प्रवर्तन व स्थापना विभाग की टीम में ही कोई समन्वय नजर आया है।