नैनीताल। उत्तराखंड के अधिकतर इलाकों में मंगलवार को सुबह से ही मौसम साफ बना हुआ है। मंगलवार को नैनीताल की ठंडी सड़क पर फिर से भूस्खलन हो गया है। जिससे यहां मार्ग बंद हो गया है। इस भूस्खलन से कुमाऊं विवि के महिला छात्रावास को भी खतरा हो गया है। जान की परवाह किए बगैर लोग भूस्खलन के मलबे से गुजर रहे हैं। गंगोत्री व यमुनोत्री हाईवे पर यातायात सुचारू है।
वहीं धारचूला के जुम्मा गांव में रविवार की रात हुई मूसलाधार बारिश ने जमकर कहर बरपाया। अतिवृष्टि से जामुनी और नालपोली तोक में सात मकान जमींदोज हो गए। मलबे में तीन बहनों और उनके चाचा-चाची समेत सात लोग दब गए। इनमें से तीनों बहनों और दो महिलाओं के शव बरामद कर लिए गए हैं, जबकि दंपती (तीनों बहनों के चाचा-चाची) लापता हैं। दोनों लापता की खोजबीन जारी है। घटना में जुम्मा गांव के चार लोग घायल हुए हैं।
मलबे से बंद हुई 300 सड़कें, 75 खोलीं गईं
पर्वतीय जिलों में बारिश लगातार कहर बरपा रही है। सोमवार को भी पहाड़ में बारिश से कई जगहों पर भूस्खलन हुआ। मलबे से करीब 300 सड़कें अब तक बंद हो चुकी हैं। जबकि 75 सड़कों को खोलने का काम लोनिवि की ओर से किया गया।
सिर्फ बागेश्वर और चमोली में सामान्य से अधिक बारिश
पिथौरागढ़, बागेश्वर, देहरादून, टिहरी समेत राज्य के कई जिलों में इस साल बादल फटने से बेशक भारी तबाही हुई, लेकिन दो जिलों को छोड़कर प्रदेश में सामान्य से कम बारिश हुई है। सिर्फ बागेश्वर और चमोली जिले ऐसे रहे जहां सामान्य से अधिक बारिश हुई। बागेश्वर में 154 फीसदी और चमोली में 54 फीसदी अधिक बारिश हुई। खास बात यह भी रही कि यहां बारिश से नुकसान अन्य जिलों की अपेक्षा काफी कम रहा।
मौसम विभाग की ओर से जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक एक जनवरी से लेकर 30 अगस्त तक सबसे अधिक बारिश 1713.6 मिमी रिकॉर्ड की गई। जो सामान्य बाशि 679 से 152 फीसदी अधिक है।