श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय से संबद्ध आठ निजी महाविद्यालयों में आवंटित सीट से अधिक दाखिले करने के मामले में कार्रवाई पर आज विश्वविद्यालय की कार्य परिषद की बैठक में फैसला होगा। बताया जा रहा है कि सीट कम करने से लेकर मान्यता रद करने तक की कार्रवाई इन संस्थानों पर की जा सकती है। जिन छात्रों को बगैर सीट के दाखिला दिया गया, उनका परीक्षा परिणाम घोषित किए जाने को लेकर भी बैठक में फैसला लिया जाएगा।
यह फर्जीवाड़ा इस वर्ष जुलाई में स्नातक प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा की कापियों की जांच के दौरान पकड़ा गया था। हुआ यूं कि जांच के दौरान कापियों की संख्या विश्वविद्यालय की ओर से संस्थानों को आवंटित स्नातक की सीटों से 481 ज्यादा निकली। यह पता चलने पर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने जांच कराई। जिसमें सामने आया कि विश्वविद्यालय से संबद्ध आठ संस्थानों ने फर्जीवाड़ा कर आवंटित सीटों से अधिक छात्रों को न सिर्फ दाखिला दिया, बल्कि उनकी परीक्षा भी करा दी। फर्जीवाड़ा करने वाले संस्थानों में चार रुड़की के, तीन हरिद्वार के और एक देहरादून का है। इसके बाद आवंटित सीटों से इतर जिन छात्रों को दाखिला दिया गया था, उनका परीक्षा परिणाम रोक दिया गया। साथ ही उक्त संस्थानों पर कार्रवाई का फैसला कार्य परिषद की बैठक में करना तय किया गया।
इस बाबत कुलपति डा. पीपी ध्यानी का कहना है कि इस प्रकरण में छात्रों का कोई दोष नहीं है। इस कारण उनका परीक्षा परिणाम घोषित किया जाना चाहिए। साथ ही छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने वाले निजी संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
विश्वविद्यालय पर कार्रवाई क्यों नहीं
इस प्रकरण में श्रीदेव सुमन विश्वविद्यालय प्रशासन तो फर्जी तरीके से दाखिला देने वाले संस्थानों पर कार्रवाई का मन बना चुका है। लेकिन, विश्वविद्यालय के स्तर पर बरती गई लापरवाही का शासन ने अभी तक संज्ञान नहीं लिया है। उक्त प्रकरण सामने आने पर यह सवाल भी उठा था कि जिन छात्रों को फर्जी तरीके से दाखिला दिया गया, विश्वविद्यालय ने उनको परीक्षा में कैसे बैठने दिया। उनके प्रवेश पत्र कैसे जारी हुए। इसके बाद खुद उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत ने इसके लिए जिम्मेदार विश्वविद्यालय के कार्मिकों पर भी कार्रवाई का आश्वासन दिया था।