नैनीताल : उत्तराखंड की प्रसिद्ध चारधाम यात्रा शुरू करने पर लगी रोक हटाने के लिए राज्य सरकार फिर हाईकोर्ट पहुंच गई है। सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) वापस लेने के बाद सरकार का पूरा जोर रोक हटाने पर है, ताकि यात्रा को शुरू किया जा सके।
हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष सरकार ने मौखिक रूप से रोक हटाने की याचना की है। कोर्ट ने सरकार की याचना को स्वीकार करते हुए 15 अथवा 16 सितंबर को मामले में सुनवाई का निर्णय लिया है।
इसी साल जून में हाईकोर्ट ने कोविड से संबंधित जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अधूरी तैयारियां, स्वास्थ्य सुविधाओं में कमी, कोविड प्रोटोकॉल के अनुपालन के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं होने के आधार पर यात्रा पर अग्रिम आदेश तक रोक लगा दी थी। इसके बाद सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल की। जिस पर सुनवाई नहीं हुई थी।
इधर चारधाम यात्रा शुरू करने की मांग को लेकर तीर्थ पुरोहितों व व्यवसायियों ने यात्रा खोलने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू कर दिया। विपक्षी दलों ने भी इस मामले को लेकर सरकार की घेराबंदी तेज कर दी। दबाव बढ़ा तो सरकार ने रोक हटाने के लिए कानूनी विकल्पों पर विचार किया और महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर व मुख्य स्थाई अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में यात्रा पर लगी रोक हटाने की याचना की तो कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी विचाराधीन होने का हवाला देकर विचार करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद एसएसपी वापस ली गई।
शुक्रवार को सीएससी रावत की ओर से इस मामले को मेंशन किया गया। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सरकार की प्रार्थना स्वीकार करते हुए इसे सुनवाई के लिए 15 अथवा 16 सितंबर के लिए नियत कर दिया। गुरुवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी नैनीताल में साफ कहा था कि यात्रा खोलने को लेकर सरकार हर मुमकिन कोशिश करेगी।