हरिद्वार। पेड़ काटने के नाम पर जमा जमानत राशि से वन विभाग की तिजौरी भरने वाली है। हरिद्वार वन प्रभाग क्षेत्र में अपनी निजी जमीन से लगभग साढ़े आठ हजार पेड़ों को काटने के नाम पर जमा 21 लाख रुपये की धनराशि को वन विभाग जब्त करने जा रहा है। इससे साफ पता चलता है कि पेड़ काटने वालों ने वन विभाग की उन शर्तों का पालन नहीं किया, जिसके तहत यह राशि वापस की जानी थी। जमानत राशि छोड़ दी, लेकिन पेड़ नहीं लगाए।
वन विभाग निजी जमीन से प्रतिबंधित पेड़ काटने की अनुमति कुछ शर्तों के साथ देता है। इसमें प्रमुख शर्त यह होती है कि एक पेड़ काटने के एवज में दो पौधे लगाकर उनकी तीन साल तक परवरिश करनी होती है। इसके लिए एक पेड़ को काटने की एवज में ढाई सौ रुपये के हिसाब से जमानत राशि जमा करनी पड़ती है। इसमें डाक विभाग से एनएससी बनाकर वन प्रभाग के दफ्तर में जमानत के तौर पर देनी होती है। काटे गए एक पेड़ की जगह दो पेड़ के हिसाब से लगाकर और उन्हें तीन साल तक तैयार करने के बाद कार्यालय में आवेदन करना पड़ता है। वन विभाग की ओर से काटे गए पेड़ों के सापेक्ष दोगुना पेड़ तैयार करने की जांच पड़ताल करने के बाद जमानत के रूप में रखी गई यह एनएसी छोड़ दी जाती है।