उत्‍तराखंड में धार्मिक क्षेत्रों में जमीन खरीद पर लग सकती है पाबंदी

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। प्रदेश सरकार निकट भविष्य में चारधाम, तीर्थनगरी हरिद्वार, ऋषिकेश, जागेश्वर धाम समेत कुछ अन्य धर्मस्थलों पर चार से पांच किमी के दायरे को धार्मिक क्षेत्र घोषित कर वहां जमीन की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा सकती है। कई जिलों में समुदाय विशेष की बढ़ती जनसंख्या और विदेशी मूल के व्यक्तियों के नाम बदल कर रहने की आशंका के मद्देनजर सरकार विशेष सतर्कता बरत रही है।

शुक्रवार को शासन ने पुलिस महानिदेशक से लेकर सभी डीएम व एसएसपी को इस तरह की आशंका के निदान के लिए जरूरी कदम उठाने को निर्देशित किया। दरअसल, सरकार को इस आशय की शिकायतें मिली थीं कि कुछ क्षेत्रों में समुदाय विशेष की जनसंख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है, जबकि वहां रहने वाले लोग अन्यत्र चले गए हैं। भाजपा और कुछ संगठनों ने भी पर्वतीय क्षेत्रों में इस तरह के मामलों से सांप्रदायिक सद्भाव गड़बड़ाने का अंदेशा जताया। इंटरनेट मीडिया में पिछले कुछ समय के दौरान इसे लैंड जिहाद का नाम दिया जा रहा है।

इस तरह की तमाम बातें सामने आने पर सरकार ने जानकारी एकत्र की तो कुछ मामलों में इसकी पुष्टि होती नजर आई। इसके बाद सरकार सतर्क हो गई। सूत्रों के मुताबिक अब सरकार क्षेत्र विशेष में भूमि की खरीद-फरोख्त को लेकर सख्त प्रविधान करने की तैयारी में है। इसके तहत धार्मिक स्थलों के इर्द-गिर्द के चार से पांच किमी के दायरे को धार्मिक क्षेत्र घोषित किया जा सकता है। चार धाम, यानी बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के साथ ही ऋषिकेश, हरिद्वार, जागेश्वर धाम समेत कुछ अन्य क्षेत्र इस क्रम में धार्मिक क्षेत्र घोषित किए जा सकते हैं। इस तरह के धार्मिक क्षेत्रों में समुदाय विशेष के जमीन खरीदने पर प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

शासन द्वारा सभी जिलों के डीएम और एसएसपी को दिए गए निर्देशों को इस कड़ी के पहले हिस्से तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि सभी जिलों में गठित होने वाली समितियों से सुझाव लेने के बाद सरकार धार्मिक क्षेत्रों में जमीन की खरीद-फरोख्त पर पाबंदी लगा सकती है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि सरकार ने प्रत्येक जिले में समिति गठित करने का जो निर्णय लिया है, वह उचित है। अगर इस तरह की घटनाएं घट रही हैं तो यह चिंताजनक है। सरकार को इस संबंध में गहन अध्ययन कर जरूरी कदम उठाने चाहिए।

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