हल्द्वानी : कुमाऊं के बड़े प्रोजेक्ट के तौर पर शामिल रिंग रोड का मामला फिर से चर्चाओं में है। लोक निर्माण विभाग के मुताबिक एनएच अफसरों ने उनसे रिंग रोड की स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। बताया जा रहा है कि इसे पुन: केंद्र को भेजा जाएगा। सर्वे व डीपीआर का प्रस्ताव बनने के साथ कई बार संशोधित भी हो चुका है। 1900 करोड़ से ज्यादा लागत होने की वजह से बगैर केंद्र की मदद के रिंग रोड का बनना मुश्किल है।
अप्रैल 2017 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने हल्द्वानी में रिंग रोड की घोषणा की थी। बड़े शहर को जाम से निजात दिलाने के लिए 51 किमी गोल सड़क बननी थी। हल्द्वानी में लगातार बढ़ रहे यातायात दबाव को देखते हुए इसकी जरूरत भी थी। घोषणा के दौरान इसकी लागत 400 करोड़ रुपये आंकी गई थी।
मगर अब 1120 करोड़ रुपये केवल प्रथम चरण के लिए चाहिए। इस बजट का इस्तेमाल जमीन अधिग्रहण, बिजली पोल व लाइन के अलावा जल संस्थान की पेयजल लाइनों को शिफ्ट करने पर होगा। वहीं, निर्माण का बजट मिलाकर लागत 1900 करोड़ तक पहुंच गई। लेकिन मामला सर्वे और रिपोर्ट से आगे नहीं बढ़ सका। सवा चार साल बाद इस प्रोजेक्ट में एनएच की भूमिका आने की वजह से मामला फिर सुर्खियों में है।
फॉरेस्ट और निजी जमी का होगा अधिग्रहण
हल्द्वानी: रिंग रोड के निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग को फॉरेस्ट लैंड के साथ निजी जमीन की भी जरूरत पड़ेगी। विभाग के मुताबिक 32 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड, 176.12 मीटर व्यावसायिक जमीन, 51 एकड़ निजी नाप भूमि व 16 हेक्टेयर इंडस्ट्री लैंड की जरूरत पड़ेगी। हालांकि, हर साल सर्किल रेट में बढ़ोतरी की वजह से जमीन अधिग्रहण के दाम और बढेंगे।
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