बाघम्बरी गद्दी के नए महंत के रूप में बलबीर पुरी के नाम की घोषणा के साथ ही निरंजनी अखाड़े में विरोध के सुर भी उठने लगे। अखाड़े में शामिल गिरि संन्यासियों ने इस पर आपत्ति की। तर्क दिया कि पुरी संन्यासी श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत नहीं बनाए जा सकते हैं।
वीरवार सुबह निरंजनी अखाड़े में हुई संतों की बैठक में प्रयागराज स्थित श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत के रूप में बलबीर पुरी का नाम सार्वजनिक किया गया। इसके तत्काल बाद अखाड़े के गिरि संन्यासियों की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। उनका कहना है कि पुरी संन्यासी गिरि संन्यासियों का हक मार रहे हैं। कुछ ने महंत के नाम के लिए अखाड़े में शामिल गिरि और पुरी संन्यासियों के मध्य चुनाव कराने की मांग भी उठाई। विरोध करने वालों का कहना था कि श्री मठ बाघम्बरी गद्दी निरंजनी अखाड़े में शामिल गिरि संन्यासियों की गद्दी है। इसका महंत गिरि संन्यासियों में से ही कोई हो सकता है। बलबीर पुरी पुरी संन्यासी हैं, इसलिए उन्हें श्री मठ बाघम्बरी गद्दी का महंत नहीं बनाया जा सकता है। विरोध करने वालों ने सवाल उठाया कि बलबीर पुरी वर्तमान में हरिद्वार स्थित बिल्केश्वर महादेव मंदिर के व्यवस्थापक हैं, लेकिन श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के ब्रह्मलीन होने के बाद उन्होंने कैसे खुद को बलबीर गिरि प्रचारित करना शुरू कर दिया।इस मामले में निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने स्वीकार किया कि विरोध के स्वर सामने आए हैं। लेकिन, उन्होंने स्पष्ट किया कि यह अखाड़े का अंदरूनी मामला है। अखाड़े के नियमों की सभी को जानकारी है। कोई भी फैसला इसी के अनुरूप लिया जाता है। सभी पहलुओं पर विचार करके अखाड़े की परंपरा और विधान के अनुसार ही निर्णय लिए जाते हैं।
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