गौ माता की निस्वार्थ सेवा कर कमा रहे पुण्य, हरिओम आश्रम 600 गौवंश का कर रहा भरण पोषण

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। दूध का व्यवसाय करने के लिए गौशाला बनाने और गाय पालने वालों की कमी नहीं है। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो गाय माता को जन्म देने वाली मां के समान मानकर सेवा करते हैं। ऐसी ही मिसाल देहरादून कड़वापानी स्थित हरिओम आश्रम ने पेश की है। आश्रम में लावारिस, चोटिल और बूढ़ी हो चुकी गौ माता की निस्वार्थ सेवा की जा रही है। आश्रम के सदस्यों का मानना है कि गौ माता की सेवा करने से जो पुण्य और संतुष्टि मिलती है वह तीर्थ दर्शनों में भी नहीं।

11 वर्ष पहले शिव ओम बाबा ने बाबा अनुपमानंद गिरी के साथ मिलकर ‘पूज्य दादी मां रामप्यारी गो सेवा सदन’ की नींव रखी थी। गौ सेवा करने की इच्छुक अन्य साथियों के साथ मिलकर उन्होंने हरिओम आश्रम ट्रस्ट शुरू कर यह इस पुण्य कार्य की शुरुआत की। शिव ओम बाबा ने बताया कि उन्हें गौ सेवा की प्रेरणा गौ कथा सुनकर मिली।

गौ कथा सुनने के बाद गौ माता से जुड़ी पुस्तक और पुराण पढ़े तो गौ सेवा की लालसा और बढ़ती गई। शिव ओम बाबा का मानना है कि भले ही गौ माता हमारी भाषा नहीं बोल सकती, लेकिन अगर कोई सच्चे मन से उनकी सेवा करे तो गौ माता की भावनाओं को समझ सकता है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की संस्कृति गाय माता है, न कि केवल एक पशु। उनका सपना है कि गाय को पशु श्रेणी से हटाकर राष्ट्रीय माता का दर्जा दिया जाए।

600 गौवंश को दे रहे आसरा

शिव ओम बाबा ने बताया कि ट्रस्ट शुरू करने के बाद उन्होंने कड़वापानी में ट्रस्ट के नाम पर कुछ जमीन खरीद कर पूज्य दादी मां रामप्यारी गौ सेवा सदन की शुरू किया था, तब उनके पास तीन गाय थी। धीरे- धीरे यह कारवां बढ़ता गया, आज देहरादून में वह तीन गौ सदन स्थापित कर चुके हैं और 600 गाय, बैल एवं बछड़ों का भरण- पोषण कर रहे हैं। कड़वापानी में करीब 250, आसन बैराज के पास 100 और, तिमली में 250 से ज्यादा गौवंशों की सेवा चल रही है।

मृत शरीर के निस्तारण को व्यवस्था नहीं

शिव ओम बाबा ने दुख जताते हुए कहा कि जिस गाय माता की हम जीवन भर सेवा करते हैं, उनकी मृत्यु होने पर मृत शरीर के निस्तारण को उचित व्यवस्था नहीं है। सरकार को इस ओर ध्यान देते हुए उचित योजनाएं बनानी चाहिए। बताया कि पहले हर ब्लाक में एक सरकारी ठिया होता था, जिन्हें सरकारी ठेका मिलता था। गाय उन्हें सौंपने के बाद उसका निस्तारण हो जाता था, लेकिन अब जिस औसत में दिनभर में गाय मर रही हैं, उस हिसाब से निस्तारण के ठियों की संख्या कम हो गई है।

कम हो रहा सामाजिक सहयोग

शिव ओम बाबा ने बताया कि कोरोना काल के बाद से गाय के भूसे, दवाई आदि के लिए सहयोग देने वालों की संख्या भी घटी है। जहां पहले महीने में 100 लोग गाय को भूसा, दवाईयां या हरा चारा दान कर दिया करते थे, वह घट कर 20 ही रह गए हैं। सरकार की ओर से भी एक गाय के लिए प्रतिदिन के हिसाब से मात्र साढ़े पांच रुपये अनुदान ही मिल रहा है। जबकि प्रति कुंतल भूसे का दाम 800 रुपये तक पहुंच गया है। वहीं हर दिन एक गाय को हरा चारा एवं भूसा मिलाकर न्यूनतम पांच किलो की डायट जरूरी है। इस ओर ध्यान देने की जरूरत है।

17 thoughts on “गौ माता की निस्वार्थ सेवा कर कमा रहे पुण्य, हरिओम आश्रम 600 गौवंश का कर रहा भरण पोषण

  1. I do love the way you have framed this particular concern and it really does supply us a lot of fodder for consideration. However, through everything that I have seen, I just hope as other reviews stack on that individuals keep on point and in no way embark upon a soap box involving some other news du jour. Yet, thank you for this excellent point and although I do not go along with this in totality, I value your perspective.

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