दिवाली की रात हुए चौहरे हत्याकांड में दोषी को सजा आज, जानिए पिता सहित चार रिश्तेदारों की कैसे की थी निर्मम हत्या

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून में दिवाली की रात परिवार के चार लोगों की बेरहमी से हत्या करने के आरोपी हरमीत सिंह को सोमवार को न्यायालय ने दोषी करार दे दिया। आरोपी को मंगलवार को सजा सुनाई जाएगी। इससे पहले सजा के प्रश्न पर बहस होगी।  शासकीय अधिवक्ता जीपी रतूड़ी और राजीव गुप्ता ने बताया कि चकराता रोड क्षेत्र के आदर्शनगर में 23-24 अक्तूबर 2014 को दिवाली की रात यह हत्याकांड हुआ था। आरोपी हरमीत सिंह ने होर्डिंग व्यवसायी पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, सौतेली बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की चाकुओं से गोद कर हत्या कर दी थी।

हत्या के वक्त हरजीत कौर गर्भवती थी। एडीजे पंचम आशुतोष मिश्रा की अदालत न्यायालय ने हरमीत को चार लोगों की हत्या, गर्भ में पल रहे शिशु की हत्या और जानलेवा हमले को लेकर दोषी करार दिया है। हत्या के वक्त घर में हरमीत का करीब पांच वर्ष उम्र का भांजा कंवलजीत सिंह जिंदा बचा था। जो इस केस में अहम गवाह रहा। न्यायालय में अभियोजन ने कुल 21 गवाह और वैज्ञानिक साक्ष्य पेश किए।

पागलपन की बनाई कहानी काम नहीं आई
पिता समेत परिवार के चार लोगों के हत्यारे हरमीत सिंह ने हत्याकांड के बाद पागलपन का ढोंग किया। उसने पुलिस को भूत-प्रेत के साए की कहानी सुनाई थी। उनसे कहा था कि उस पर आत्मा का साया आता है। आत्मा आते ही उसकी ताकत कई गुना बढ़ जाती है। पुलिस को कहा था कि यदि आत्मा फिर आ गई तो उन सबको भी मार डालेगी। यह सब उसने खुद को मानसिक रूप से बीमार दिखाने की कोशिश में किया था।

जिला शासकीय अधिवक्ता जीपी रतूड़ी ने बताया कि आरोपी की मानसिक जांच के लिए एम्स की टीम गठित की गई थी। उसने आरोपी के मानसिक रूप से स्वस्थ्य होने की रिपोर्ट दी थी। ऐसे में पागलपन की उसकी कोशिश फेल होने पर अदालत ने उसे दोषी माना। न्यायालय ने माना कि हत्याकांड को उसने प्लानिंग के साथ अंजाम दिया। हत्या के लिए उसने पड़ोसी की तरफ खुलने वाली खिड़की को बेड के गद्दे से ढक दिया था, ताकि किसी को कुछ पता न चल सके।

संपत्ति के हर हकदार को ठिकाने लगाने की थी कोशिश
वारदात के वक्त हरमीत की अपनी मां सहारनपुर में रहती थी। हरमीत सिंह के दिलो-दिमाग में भरा नफरत का गुबार दिवाली की रात पिता जय सिंह, सौतेली मां कुलवंत कौर, बहन हरजीत कौर और भांजी सुखमणि की हत्या के रूप में फूटा। एक तो नशा और दूसरा कम बात करने की आदत की वजह वह अपनी पीड़ा को कभी जाहिर नहीं कर पाया।

उसको लगाता था पिता की सारी संपत्ति से वह और मां बेदखल न हो जाएं। दिवाली से एक दिन पहले हरमीत ने जीजा अरविंदर सिंह को फोन कर घर बुलाया था। वह नहीं पहुंचे। उसका इरादा संपत्ति के हर हकदार को ठिकाने लगाने का था। हत्या से पहले उसने रामपुरी चाकू को धार लगवाई और क्लोरोफार्म खरीदा था, जो मौके से बरामद हुआ था।

मौके से कर लिया गया था गिरफ्तार 
हत्याकांड की सूचना मिलने पर बिंदाल पुलिस चौकी मौके पर पहुंची। वहां घर के बाहर हरमीत सिंह खड़ा मिला था। उसके हाथ में पट्टी बंधी थी और उंगलियों एवं कपड़े पर खून लगा था। चौकी प्रभारी ने कारण पूछा तो हरमीत ने बताया कि कई दिन पहले चोट लग गई थी। पुलिस को कहा था कि यहां कुछ नहीं है, अंदर जाकर देखो क्या हुआ है। तब उसे सामने खड़े दरोगा ने आरोपी को पुलिस कर्मी के हवाले किया। इसके बाद अंदर गए थे। हरमीत ने खुद को सिपाही से छुड़ाने के लिए हाथापाई भी की थी।

जिंदा बचे भांजे की गवाही मामले में अहम रही
हादसे की रात कोठी में हत्यारे हरमीत के अलावा उसका करीब पांच साल का भांजा कंवलजीत जिंदा बचा था। कंवलजीत को मारने की कोशिश भी हत्यारे ने की थी। उस पर चाकू से हमला किया गया। इसके बाद कंवलजीत बेड के नीचे छिप गया था। जिससे वह बच पाया। शासकीय अधिवक्ता के मुताबिक न्यायालय में हरमीत के दोषी करार देने में कंवलजीत की गवाही अहम रही।

सुनवाई के दौरान ये साक्ष्य महत्वपूर्ण रहे
-आरोपी की खून से सनी चप्पल और वारदात के दौरान पहनी खून से सनी शर्ट और लोअर।
-कत्ल करते समय चाकू  के प्रहार से हरमीत की अंगुलियां कट गई थीं।
-भांजे कंवलजीत की गवाही और एम्स की मेडिकल जांच रिपोर्ट।

रामपुरी चाकू से की थी हत्या
परिवार के लोगों की हत्या करने को हरमीत ने रामपुरी चाकू का प्रयोग किया था। उसे भी घटना के बाद पुलिस ने बरामद कर लिया था। चाकू हमला करते वक्त हरमीत की अंगुलियों में लगा था। इससे उसकी अंगुलियों में चोट आई थी।

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