कौशल्या के कौशल से फलक पर मसूरी के क्यारकुली की दमक, दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते बदली गांव की तस्वीर और तकदीर

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। उत्तराखंड के एक छोटे से गांव की महिला ने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति के बूते गांव की तस्वीर और तकदीर दोनों ही बदल दी है। मसूरी के क्यारकुली-भट्ठा गांव की कौशल्या देवी कौशल ने इस गांव को राष्ट्रीय पटल पर पहचान दिलाई है। स्वच्छता और शुद्ध पेयजल की उपलब्धता में यह गांव देशभर में अग्रणी है। गांव में कौशल्या देवी के प्रयासों से जल संरक्षण व पर्यावरण सरंक्षण के वृहद प्रयास किए गए हैं। हाल ही में गांव की उपलब्धि पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी कौशल्या देवी की सराहना की है। सरकार और सिस्टम का मुंह ताकने वालों को क्यारकुली-भट्ठा गांव की प्रधान कौशल्या देवी रावत आइना दिखा रही हैं। अपने गांव को मूलभूत सुविधाओं से लैस कराने के साथ ही कौशल्या क्षेत्र में जल एवं पर्यावरण संरक्षण की अलख जगा रहीं हैं।

वर्ष 2006 में शादी कर क्यारकुली आईं कौशल्या हमेशा स्वच्छता और पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहीं। मसूरी पोस्ट ग्रेजुएट कालेज से स्नातक के बाद कौशल्या ने गांव की दशा सुधारने का बीड़ा उठाया। उन्होंने ग्रामीणों को स्वच्छता के प्रति जागरूक किया। हालांकि, पहले उन्हें इस पहल में कोई खास कामयाबी नहीं मिली। वर्ष 2019 में ग्राम प्रधान के चुनाव में कौशल्या देवी रावत ने सामान्य वर्ग की सीट से तीन पुरुष और एक महिला को शिकस्त देकर जीत दर्ज की। इसके बाद उन्हें अपने उद्देश्य की ओर बढ़ने का सुनहरा अवसर मिला।

बतौर प्रधान उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने और स्वच्छता में व्यापक स्तर पर कार्य किया। महज ढाई साल में क्यारकुली-भट्ठा गांव बिजली-पानी से लेकर स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण में अव्वल है। इसके अलावा गांव की सभी नालियां अंडरग्राउंड हैं और हर घर में शौचालय है। आंगनबाड़ी-स्कूलों आदि में भी बिजली-पानी की समुचित व्यवस्था है। कुछ साल पहले पेयजल के लिए टैंकरों के भरोसे रहने वाले गांव में अब घर-घर में पर्याप्त पानी पहुंच रहा है।

देशभर के गांवों के लिए मिसाल बना गांव

दून से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर मसूरी के पास बसा क्यारकुली-भट्ठा गांव स्वच्छता और संसाधनों के चलते पर्यटकों को भी अपनी ओर खींच रहा है। गांव की प्रधान कौशल्या रावत ने बताया कि प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इस गांव में 35 होम स्टे हैं। यहां सीजन में बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं, जिससे स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ी हैं। यहां स्वच्छता पर गंभीरता से कार्य किया गया है।

कौशल्या रावत ने बताया कि उन्होंने 10 लाख की निधि में से ढाई लाख रुपये पेयजल व्यवस्था दुरुस्त करने और साढ़े सात लाख रुपये स्वच्छता व्यवस्था पर खर्च किए। 340 परिवारों के इस गांव में वेस्ट मैनेजमेंट पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए ग्रामीणों ने करीब 22 हजार पौधे रोपे हैं। इसमें भी प्राकृतिक जल स्रोतों के आसपास पौधे लगाकर जल संरक्षण का प्रयास किया गया है।

 

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