देहरादून। दून-दिल्ली राजमार्ग चौड़ीकरण के तहत गणेशपुर से आशारोड़ी तक पेड़ कटान के मामले में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) को बड़ी राहत दी है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पीठ ने उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें पेड़ कटान की मंजूरी को खारिज करने की मांग की गई थी।
यह याचिका एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) की तरफ से दायर की गई थी। याचिका में कहा गया कि गणेशपुर से आशारोड़ी के बीच करीब 20 किलोमीटर के भाग पर 57.32 हेक्टेयर वन भूमि से पेड़ों का कटान किया जाएगा। दावा किया गया था कि इसमें 9.62 हेक्टेयर वन भूमि पर बेहद उच्च घनत्व के वन हैं।
याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने कहा कि अगर वन मंत्रालय ने मंजूरी वैध तरीके से दी है तो उसे निरस्त करने का कोई कारण नहीं। यह कानून का उल्लंघन नहीं माना जाएगा। चरण एक की अनुमति को पेड़ों के कटान की मंजूरी के रूप में माना जाता है। इसके लिए निर्धारित व सरल प्रक्रिया है। ऐसे में इस सवाल का कोई औचित्य नहीं कि मंजूरी गलत तरीके से दी गई है।
हालांकि, पीठ ने कहा कि एक भी पेड़ को काटा जाना चिंता का विषय अवश्य है और हर एक पेड़ की रक्षा जरूरी है। फिर भी विशेष परिस्थितियों में क्षतिपूर्ति करने वाला वनीकरण, स्थानांतरण सहित सभी आवश्यक उपायों को अपनाने पर पेड़ों को काटने की अनुमति दी जाती है। मौजूदा प्रकरण में सभी पहलुओं पर काम किया गया है।
दस मिनट में पूरी होगी एक घंटे की दूरी
देहरादून-दिल्ली राजमार्ग चौड़ीकरण में गणेशपुर से मोहंड के बीच करीब 16 किमी भाग पर एलिवेटेड रोड बनाने की स्वीकृति मिली है। ताकिघने वन क्षेत्र में वन्य जीवों को सड़क पार करने में भी दिक्कत न हो। मौजूदा वक्त में वाहनों को गणेशपुर से आशारोड़ी तक के सफर में एक घंटे का समय लगता है, मगर एलिवेटेड रोड बनने के बाद यह दूरी महज दस मिनट में पूरी होगी। परियोजना से वन्य जीवों की सुरक्षा भी होगी और राजमार्ग की सुविधा भी बेहतर होगी।