आशाओं के संघर्ष और आंदोलन की हुई जीत, लेकिन सीएम का वादा अभी अधूरा

उत्तराखंड देहरादून

हल्द्वानी : आशा कार्यकर्ताओं का आंदोलन समाप्त हो गया है। सरकार ने कैबिनेट की बैठक के बाद पारिश्रमिक बढऩे की मांग पूरी हो गई है, लेकिन कार्यकर्ताओं का कहना है कि फिलहाल हम कई और मांगों के लिए आंदोलन जारी रखेंगे।

मासिक वेतन, पेंशन और आशा वर्करों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा देने समेत बारह सूत्रीय मांगों को लेकर आशा कार्यकताएं हड़ताल पर चली गई थी। 12 अक्टूबर को कैबिनेट में पारिश्रमिक बढऩे का प्रस्ताव पारित हुआ है। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डा. कैलाश पाण्डेय ने कहा कि सरकार की ओर से आशाओं को मिलने वाले मासिक पारिश्रमिक को बढ़ाने का प्रस्ताव आंदोलन व हड़ताल के बल पर ही संभव हुआ है। भले ही राज्य सरकार अपने वादे पर खरी नहीं उतरी है और राज्य के मुख्यमंत्री ने आशाओं से किये गए अपने वादे को तोड़ा है। फिर भी व्यापक जनता के स्वास्थ्य संबंधी हितों के मद्देनजर आशाओं ने काम पर वापस लौटने का फैसला लिया है।

डीजी हेल्थ की ओर से सरकार को भेजे गए प्रस्ताव के अनुरूप शासनादेश जारी करने की लड़ाई जारी रहेगी। मीडिया को जारी बयान में डा. पांडेय ने कहा कि अगर शीघ्रता से कैबिनेट के प्रस्ताव पर शासनादेश जारी नहीं किया गया तो आशाओं को फिर से बड़े आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा। हमें उम्मीद है कि सरकार समय-समय पर हमारी मांगों पर विचार करेगी।

कटा हुआ पैसा वापस करे सरकार
यूनियन ने मांग की कि स्वास्थ्य विभाग ने अगस्त माह की हड़ताल के समय का आशाओं का पैसा काट लिया है। हम सरकार से आशाओं का हड़ताल के समय का पैसा काटने का फैसला वापस लेने की मांग करते हैं, सभी आशाओं को अगस्त माह का पैसा दिया जाए।

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