उत्तराखंड राज्य गठन के बाद भले ही खेती किसानी का रकबा कम हुआ हो, लेकिन अब जैविक खेती का दायरा बढ़ रहा है। सरकार किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित करने के साथ ही उत्पादों की मार्केटिंग और मूल्य संवर्धन का इंतजाम कर रही है। वर्तमान में 2.20 लाख हेक्टेयर पर खेती करने वाले 4.74 किसानों के उत्पादों को जैविक प्रमाणीकरण किया गया।
उत्तराखंड में 2019 में लागू किया जैविक कृषि अधिनियम
प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए 2019 में जैविक कृषि अधिनियम लागू किया गया। वर्तमान में जैविक कृषि का क्षेत्रफल बढ़ कर 2.31 हेक्टेयर हो गया है। जो कुल कृषि क्षेत्रफल का 36 प्रतिशत है। राज्य गठन के समय प्रदेश में कृषि के अधीन 7.70 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल था। जो घट कर 6.48 लाख हेक्टेयर हो गया है। इस देखते हुए सरकार ने किसानों को जैविक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
प्रदेश भर में आर्गेनिक कलस्टर के माध्यम परंपरागत फसलों के साथ फल व सब्जियों का जैविक तरीके से उत्पादन किया जा रहा है। जिससे किसानों को उत्पाद का ज्यादा दाम मिल सके। सहभागिता जैविक प्रतिभूति प्रणाली (पीजीएस) के तहत प्रदेश के 4.74 लाख से अधिक किसानों के उत्पाद जैविक सर्टिफिकेशन किया गया। जैविक उत्पादों की मार्केटिंग के लिए सरकार प्रदेश में आर्गेनिक आउटलेट खोल रही है।
3900 आर्गेनिक कलस्टर पर चल रहा काम
परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत प्रदेश में 3900 जैविक खेती कलस्टर पर काम किया जा रहा है। जिसमें कृषि विभाग की ओर से 2555, उद्यान विभाग 1241, सगंध पौधा केंद्र 45, रेशम विभाग के माध्यम से 59 कलस्टर बनाए जा रहे हैं। एक कलस्टर के तहत 20 हेक्टेयर क्षेत्र और 50 किसानों के समूह को शामिल किया जा रहा है।
सात जिलों में 1237 गांवों जैविक कृषि कार्यक्रम
नमामि गंगे योजना के तहत गंगा नदी के जल को प्रदूषित होने से रोकने के लिए गंगा किनारे बसे गांवों में जैविक कृषि कार्यक्रम चलाया गया है। जिसमें टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी जिले के 42 गांवों में 840 हेक्टेयर क्षेत्र चयनित है। दूसरे चरण में वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2022-23 तक सात जिले हरिद्वार, टिहरी, चमोली, उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, पौड़ी व देहरादून जिले के 1237 गांवों में 50 हजार हेक्टेयर पर जैविक कृषि कार्यक्रम संचालित किया जाएगा।
उत्तराखंड को आर्गेनिक राज्य बनाने के लिए सरकार प्रयासरत है। प्रदेश में पहले जहां 50 हजार हेक्टेयर में जैविक खेती होती थी। वहीं अब 2.20 लाख हेक्टेयर अधिक क्षेत्रफल में किसान जैविक तरीके से फसलों का उत्पादन कर रहे हैं। आर्गेनिक उत्पादों की मार्केटिंग, ब्रांडिंग की व्यवस्था भी सरकार कर रही है। जिससे जैविक खेती से किसानों को दोगुने दाम मिल सके। – सुबोध उनियाल, कृषि एवं उद्यान मंत्री
चार वर्षों में जैविक खेती के क्षेत्रफल में हुई बढ़ोतरी
वर्ष – क्षेत्रफल हेक्टेयर में
2017-18 – 35106
2018-19 – 124365
2019-20 – 154226
2020-21 – 220540
Excellent write-up
Insightful piece