चम्पावत के हार्दिक ने सहेज रखी है 80 से अधिक देशों की करेंसी, अनूठा है इनका शौक

उत्तराखंड चंपावत

चम्पावत : देश की पुरानी करेंसी इकट्ठा करने का शौक बहुतों को होता है। लेकिन चंपावत के हार्दिक तिवारी का शौक सबसे जुदा है। हार्दिक 12 साल की उम्र से पुराने भारतीय नोट और सिक्‍कों के साथ विदेशों की करेंसी का कलेक्‍शन कर रहे हैं। वर्तमान में उनके पास भारत सहित विश्वभर के 80 से अधिक देशों की करेंसी उपलब्ध है। हार्दिक बताते हैं कि उन्‍हें यह शौक विदेशी पर्यटकों के संपर्क में आने के बाद लगा। उन्‍हेंने अपने घर में पुराने कलेक्‍शन का एक छोटा सा म्‍यूजिम तक बना रहा है।

चम्पावत के मुख्य बाजार निवासी 19 वर्षीय हार्दिक दिल्ली यूनिवर्सिटी में बीकॉम द्वितीय वर्ष के छात्र हैं। उन्हें विभिन्न देशों की करेंसी जमा करने का शौक बचपन से ही है। हार्दिक ने बताया कि चम्पावत में उनके पिताजी प्रकाश तिवारी के होटल में अक्सर विदेशी पर्यटक आते थे। होटल में रुकने के दौरान वे उनके पिता से स्थानीय पर्यटन स्थलों के बारे में जानकारी लेते रहते थे। कई बार उनके पिता पर्यटकों को लेकर आस-पास के क्षेत्रों में चले जाते थे। लेकिन जब उन्हें समय नहीं मिलता तो वे पर्यटकों के साथ उन्हें भेज देते थे। इस दौरान पर्यटक उन्हें खुश होकर अपने देश की करेंसी जरूर देते थे। वे घर आकर विदेशी करेंसी को सहेजकर रख देते थे।

लाखों रुपए की करेंसी हार्दिक ने करी है जमा

हार्दिक ने बताया कि उनके पास 80 देशों की लाखों रुपए की करेंसी है। हालांकि उन्‍होंने अभी कुल करेंसी का मूल्‍यांकन नहीं किया है। इसमें सबसे महंगी करेंसी कुवैत का दिनार है। एक दीनार की रुपयों में कीमत 246.19 है। वहीं सबसे सस्ती मुद्रा युगोस्लाविया की जुयूगोस्लाविया दीनार है। जिसकी 50000 दिनार की कीमत करीब 80 रुपए है। उनके पास वर्ष 1900 से 2021 तक की भारतीय मुद्राओं का भी संकलन है।

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12 साल की उम्र से सहेज रहे करेंसी

हार्दिक ने बताया कि विदेशी करेंसी को सहेजकर रखने का काम उन्होंने करी 12 साल की उम्र से शुरू कर दिया था। बाद में उन्हें भारतीय रुपये के पुराने नोटों को भी सहेजना शुरू कर दिया। आज उनके घर में अमेरिका, फ्रांस, इटली, जर्मनी, इंग्लैंड, कनाडा, साउथ अफ्रीका, चाइना, पाकिस्तान, भूटान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, सऊदी अरब, आष्ट्रेलिया सहित 80 देशों की करेंसी है। इस सबको उन्होंने अपने कमरे में सजाकर रखा है। करेंसी को देखने के लिए उनके दोस्त तथा अन्य लोग आते रहते हैं। हार्दिक ने बताया कि उनका लक्ष्य विश्व के अन्य देशों की करेंसी भी सहेजना है। वे लगातार इसके लिए प्रयासरत हैं।

माता-पिता का भी मिला सहयोग

हार्दिक के इस शौक को पूरा करने में उनके पिता पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश तिवारी और माता कविता तिवारी ने भी पूरा सहयोग किया। हार्दिक ने बताया कि वे पढ़ाई के साथ विदेशी करेंसी को प्राप्त करने की ललक के साथ चम्पावत में आने वाले विदेशी पर्यटकों की जानकारी लेते रहते हैं। जिस देश की करेंसी उनके पास नहीं है उस देश के पर्यटक आ जाएं तो वह उनके करेंसी हासिल करने के प्रयास अब भी करते हैं।

प्राचीन ताम्रपत्र भी घर में सहेज कर रखा

हार्दिक को न केवल विदेशी करेंसी सहेजने का शौक है बल्कि देश की प्राचीन वस्तुओं एवं धरोहरों को भी अपने पास रखना उन्हें अच्छा लगाता है। उनके घर के म्यूजियम में अत्यंत प्राचीन ताम्रपत्र भी घर में रखा है। जब भी वे दिल्ली यूनिवर्सिटी से छुट्टी में घर आते हैं धार्मिक व ऐतिहासिक स्थलों को देखने जरूर जाते हैं।

करेंसी व सिक्के के इतिहास की भी है जानकारी

हार्दिक को विभिन्न देशों की करेंसी व सिक्के सहेजने का ही नहीं बल्कि उनके इतिहास की जानकारी भी रखने का भरपूर शौक। अधिकतर देशों की करेंसी के बारे में उन्हें पूरा ज्ञान है। जब भी वह किसी को इसके बारे में बताते हैं तो वह करेंसी के स्थान, प्रकाशन व बंद होने तक के समय की भी जानकारी देते हैं। हार्दिक के पास विदेशी करेंसी के साथ मुगलकालीन व हड़प्पा सभ्यता के समय के भी सिक्के मौजूद हैं।

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