राजाजी टाइगर रिजर्व में रेल ट्रैक पर न हो हाथियों की मौत, इसके लिए पार्क प्रशासन ने की हाइटेक तैयारी; लगेंगे हाइटेक सेंसर

उत्तराखंड देहरादून

रायवाला (देहरादून)। राजाजी टाइगर रिजर्व (आरटीआर) में रेल ट्रैक पर हाथियों की मौत न हो, इसके लिए पार्क प्रशासन हाइटेक तैयारी कर रहा है। इसके तहत पार्क क्षेत्र से गुजरने वाली रेलवे लाइन पर अब सेंसर व कैमरे के जरिए नजर रखी जाएगी। सेंसर के जरिए लोको पायलट को 400 मीटर दूर से ही ट्रैक पर हाथी की मौजूदगी का पता चल जाएगा।

हरिद्वार-देहरादून रेल ट्रैक पर सेंसर लगाने के लिए मोतीचूर से कांसरो के बीच संवेदनशील स्थान चिह्नित किए गए हैं। इसके जरिए रेल ट्रैक पर हाथी के आने की सूचना सुरक्षा कर्मियों को मिलती रहेगी। सेंसर जमीन के भीतर करीब तीन फीट की गहराई में लगेंगे। इसके लिए रेलवे ने पहले ही सहमति दे दी है।

सफल रहा प्रयोग

कांसरो के समीप रेल ट्रैक पर वर्ष 2018 में एक सेंसर लगाया गया था, जिसके परिणाम काफी उपयोगी रहे। अब पूरे ट्रैक पर इस तरह के सेंसर लगाने की तैयारी है। वन्य जीव विशेषज्ञ एके सिंह के मुताबिक हाथियों की सुरक्षा और ट्रैक पर होने वाले हादसों को रोकने में यह तरीका सर्वाधिक कारगर साबित होगा।

30 से 60 मीटर की दूरी पर लगेंगे सेंसर

ट्रैक के आसपास हाथी के होने की सूचना समय रहते सुरक्षा कर्मियों व लोको पायलट को मिल सके, इसके लिए रेलवे ट्रैक के दोनों ओर 30 व 60 मीटर की दूरी पर सेंसर व कैमरा ट्रैप लगाए जाएंगे। यह सेंसर ट्रैक से 60 मीटर दूर तक होने वाली हलचल व हाथी की मौजूदगी की सूचना तत्काल कांसरो, मोतीचूर व रायवाला रेलवे स्टेशन और वन विभाग की चौकी पर लगे संयंत्र को भेज देगा। यहां से संबंधित अधिकारी वाकी-टाकी से तुरंत लोको पायलट को इसकी सूचना दे सकेंगे।

टीम ने किया निरीक्षण

सोमवार को सीटीआर, रेलवे, वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्लूडब्लूआइ) व विश्व प्रकृति निधि (डब्लूडब्लूएफ) की टीम ने मोतीचूर से कांसरो तक रेल ट्रैक का निरीक्षण कर संवेदनशील स्थान चिह्नित किए। इससे पूर्व संबंधित अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें डब्लूडब्लूआइ के निदेशक धनंजय मोहन, मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक जेएस सुहाग, डा. एके सिंह, संदीप गुप्ता, दिनेश शर्मा, डा. प्रज्ञा, डा. पराग निगम, रेंजर महेंद्र गिरी गोस्वामी आदि शामिल थे।

बेहद संवेदनशील है क्षेत्र

हरिद्वार-दून रेल ट्रैक पर मोतीचूर से लेकर कांसरो तक का करीब दस किमी क्षेत्र बेहद संवेदनशील है। परंपरागत गलियारा होने की वजह से यहां वन्य जीवों की आवाजाही अधिक है। लेकिन, उनकी इस स्वच्छंद आवाजाही में रेल ट्रैक सबसे बड़ी बाधा है। ऐसे में कई बार हादसे भी हो जाते हैं। 15 अक्टूबर 2016 को रायवाला के पास ट्रेन से टकराकर एक मादा हाथी की मौत हो गई थी। जबकि, 17 फरवरी 2018 को एक शिशु हाथी और 20 मार्च को इस ट्रैक पर मादा हाथी की मौत हुई। नौ मार्च 2018 को रायवाला के पास एक हाथी जख्मी हुआ। पार्क बनने से लेकर अब तक इस ट्रैक पर 29 हाथियों की मौत ट्रेन से टकराने के कारण हुई। आरटीआर के निदेशक डीके सिंह ने बताया कि ट्रैक के संवेदनशील जगहों पर सेंसर लगेंगे, इससे निश्चित तौर पर हादसों में कमी आएगी।

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