उत्तराखंड के इन दो शहरों में सिर्फ सीएनजी विक्रम-आटो चलाने की तैयारी

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून। दून और ऋषिकेश का प्रदूषण कम करने को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश पर परिवहन विभाग यहां सिर्फ सीएनजी विक्रम और आटो चलाने की तैयारी कर रहा। परिवहन विभाग ने तीन साल पहले इसका प्रस्ताव शासन को भेजा था और इस पर 2019 में स्वीकृति भी मिल गई थी मगर योजना परवान नहीं चढ़ सकी। चूंकि अब एनजीटी के निर्देश हैं व सीएनजी पंप भी यहां खुल चुके हैं, ऐसे में विभाग ने 15 जनवरी को देहरादून संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक बुलाई है। इसमें यह निर्णय लिया जाएगा कि डीजल-पेट्रोल वाले पुराने आटो-विक्रम को सीएनजी परमिट में कन्वर्ट किया जाए या फिर नए परमिट जारी किए जाएं।

फरवरी-2018 में हुई संभागीय परिवहन प्राधिकरण की बैठक में फैसला लिया गया था कि दून शहर से डीजल-पेट्रोल आटो व विक्रमों को बाहर किया जाएगा। प्राधिकरण ने इलेक्ट्रिक बैटरी चालित आटो को चलाने को मंजूरी दी थी। हालांकि, इसमें तकनीकी अड़चन वाहनों के पिकअप को लेकर रही। दरअसल, दून शहर में सड़कें कहीं ढलान पर हैं तो कहीं चढ़ाई पर। ऐसे में संशोधित फैसले के तहत यहां सीएनजी व एलपीजी आटो-विक्रम चलाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया। तय हुआ कि डीजल और पेट्रोल आटो-विक्रम को धीरे-धीरे इलेक्ट्रिक ऑटो अथवा सीएनजी-एलपीजी आटो-विक्रमों में तब्दील कर दिया जाएगा। नए परमिट सिर्फ इन्हीं वाहनों को मिलेंगे। इसमें एलपीजी के परमिट तो मिलने लगे, लेकिन सीएनजी पंप न होने से मामला अटक गया था।

अब एनजीटी के निर्देश पर न केवल दून शहर बल्कि ऋषिकेश में भी सीएनजी आटो व विक्रम चलाने की कवायद की जा रही। दून आरटीओ (प्रशासन) दिनेश चंद्र पठोई ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश और इस मामले में एनजीटी के निर्देश के बाद पंद्रह जनवरी को प्राधिकरण की बैठक बुलाई गई है। इसमें एक व्यक्ति ने 10 सीएनजी विक्रम के परमिट का आवेदन किया हुआ है। उस पर निर्णय लेने समेत बाकी सभी आटो और विक्रम को सीएनजी में कन्वर्ट करने या नए परमिट देने का निर्णय लिया जाएगा। बैठक के एजेंडे में प्रमुख रूप से यही दो प्रस्ताव शामिल हैं।

1998 से डीजल विक्रम परमिट पर रोक

हाईकोर्ट ने वर्ष 1998 से दून में डीजल के विक्रम को परमिट देने पर रोक लगाई हुई है। वर्ष 2004 में एक व्यक्ति की ओर से दस डीजल विक्रम के परमिट मांगे गए थे लेकिन विभाग ने हाईकोर्ट के आदेश का हवाला देकर परमिट नहीं दिए। वह व्यक्ति 2007 में हाईकोर्ट चला गया और सीएनजी विक्रम के परमिट देने की अपील की। अब बीते दिनों हाईकोर्ट ने निर्णय देते हुए व्यक्ति को सीएनजी विक्रम के परमिट देने के लिए परिवहन विभाग को अधिकृत कर दिया है। उसी क्रम में यह बैठक बुलाई जा रही।

2 thoughts on “उत्तराखंड के इन दो शहरों में सिर्फ सीएनजी विक्रम-आटो चलाने की तैयारी

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