कोरोना के बढ़ते ग्राफ ने बढ़ाई टेंशन, दून अस्पताल में सभी कार्मिकों की हुई जांच

उत्तराखंड देहरादून

देहरादून।  कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में तमाम एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। जिस तेजी से संक्रमण बढ़ रहा है, चिकित्सक व स्टाफ को संक्रमण से सुरक्षित रखना भी बड़ी चुनौती है। ऐसे में प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने सभी विभागाध्यक्षों को जरूरी निर्देश जारी किए हैं, जिसमें उनके अधीनस्थ कार्यरत समस्त कार्मिकों की कोरोना जांच कराने को भी कहा गया है।

प्राचार्य ने निर्देश दिए हैं कि कार्मिकों की अगले चौबीस घंटे में जांच कराई जाए। इसके अलावा यह भी हिदायत दी गई है कि कोई भी चिकित्सक व कर्मचारी किसी भी दशा में मास्क ना उतारे। इसके अलावा भोजन आदि भी सामूहिक रूप से ना करें। बेहतर है कि ड्यूटी कक्ष में ही जलपान करें। प्राचार्य का कहना है कि कोरोना के बचाव का एक सामान्य नियम है। आप सुरक्षित, सब सुरक्षित। ऐसे में मास्क, शारीरिक दूरी आदि का पालन करना सभी की जिम्मेदारी है। इससे कोरोना का प्रसार रोकने में मदद मिलेगी।

कैंट सीईओ की रिपोर्ट निगेटिव

छावनी परिषद देहरादून की मुख्य अधिशासी अधिकारी तनु जैन अब स्वस्थ हैं, उनकी रिपोर्ट निगेटिव आई है। कुछ दिन पहले तबीयत खराब होने पर उन्होंने अपनी जांच कराई थी। जिस पर उनमें कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई थी।

11 दिन में सक्रिय मामलों में 18 गुना की वृद्धि

उत्तराखंड में कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसी के साथ सक्रिय मामलों का बोझ भी बढ़ता जा रहा है। एक जनवरी को राज्य में 367 सक्रिय मामले थे, जिनकी संख्या अब बढ़कर 6603 पहुंच गई है। यानी पिछले ग्यारह दिन में ही सक्रिय मामलों में 18 गुना वृद्धि हुई है। अभी तक की स्थिति में पांच से दस प्रतिशत मामलों में ही मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता पड़ी है। बिना लक्षण या कम लक्षण ज्यादातर मरीज होम आइसोलेशन में हैं। राहत इसलिए हैं, क्योंकि दूसरी लहर में भर्ती होने वालों की संख्या 20-23 प्रतिशत थी। पर ये राहत कब तक रहेगी, कहा नहीं जा सकता। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय राज्यों को आगाह कर चुका है कि ओमिक्रोन वैरिएंट के साथ ही डेल्टा के मामलों में भी बढ़ोतरी जारी है। जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं, अस्पताल में भर्ती होने वालों की संख्या भी उसी अनुपात में बढ़ सकती है। या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता भी तेजी से बदल सकती है। ऐसी स्थिति में स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव एकाएक बढ़ता चला जाएगा।

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