चुनाव और रैलियों पर प्रतिबंध मामले में आयोग ने हाई कोर्ट में रखा पक्ष

उत्तराखंड नैनीताल

नैनीताल: हाई कोर्ट ने उत्तराखंड में ओमिक्रोन व कोरोना के मामले बढ़ने से विधानसभा के चुनाव व रैलियों को स्थगित किये जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने मामले को सुनने के बाद अगली सुनवाई 15 जनवरी की तिथि नियत की है। गुरुवार को चुनाव आयोग भारत सरकार ने अपना पक्ष रखकर कोर्ट को बताया कि आयोग ने आठ जनवरी को गाइडलाइन जारी की है।

15 जनवरी तक चुनाव रैलियों पर पाबंदी लगाई गई है। प्रत्याशियों का नामांकन ऑफलाइन जबकि नोमिनेशन फीस ऑनलाइन जमा होगी, शपथपत्र व अन्य पेपर रिटर्निंग ऑफिसर के समक्ष दायर होंगे, अनावश्यक वाहनों के लिए भी गाइड लाइन जारी की गई है। 15 जनवरी तक आयोग ने स्टार प्रचारकों पर भी प्रतिबंध लगाए है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए है कि सीनियर सिटीजन को बूस्टर डोज उनके घरों में ही लगाए जाएं, जो लोग बूस्टर डोज लगाने के लिए सेंटर जा सकते है, उन्हें सेंटर में लगाए जाएं।

जिला निगरानी कमेटियों की रिपोर्ट के बारे में सरकार की तरफ से मुख्य स्थायी अधिवक्ता चन्द्रशेखर रावत ने कहा कि 13 में से 9 जिला निगरानी कमेटियों की रिपोर्ट आ गयी है, जिसका निरीक्षण करना अभी बाकी है। कोर्ट ने सरकार से कहा है कि इसका निरीक्षण कर इसकी एक रिपोर्ट तैयार कर कोर्ट में पेश करें।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सजंय कुमार मिस्रा व न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ में अधिवक्ता शिव भट्ट के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने विचाराधीन सच्चिदानंद डबराल अन्य की जनहित याचिका में कोर्ट के आदेशों के विपरीत राजनीतिक दलों की ओर से कोविड नियमों के विपरीत की जा रही रैलियों की तस्वीरें संलग्न कर एक प्राथर्ना पत्र पेश किया।

कहा कि इन रैलियों में कोरोना संक्रमण फैलने की पूरी संभावना है। रैलियो में कोविड के नियम का पालन नहीं किया जा रहा है। पत्र में कहा है कि कोविड का वैरियंट कोविड के किसी भी अन्य संस्करण की तुलना में 300 प्रतिशत से अधिक तेजी से फैल रहा है। लोगों के जीवन की रक्षा के लिए यह आवश्यक हो गया है कि चुनावी रैलियों जैसी बड़ी सभाओं को स्थगित किया जाय। याचिका में सभी राजनीतिक दलों को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि अपनी रैलियां वर्चुअल रूप से ही करें।

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