नैनीताल विधानसभा में पूर्व विधायक संजीव आर्य की राह अब आसान नहीं है। भाजपा से कांग्रेस में वापसी करने वाले संजीव की घेराबंदी के लिए हेम आर्य के बाद महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व विधायक सरिता आर्य ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। हेम आर्य का प्रभाव नैनीताल विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्रों में है। वहीं, सरिता 2012 में विधायक रहने से पहले पूर्व में नगर पालिका नैनीताल की अध्यक्ष भी रह चुकी है। संगठन और जमीनी कार्यकर्ताओं के दम पर अब भगवा खेमा इस सीट पर कांग्रेस और संजीव आर्य को घेरने में जुटा है। फिलहाल भाजपा से टिकट को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई।
2017 में कांग्रेस के बड़े नेता यशपाल आर्य ने बेटे संजीव संग पार्टी का साथ छोड़ भाजपा का दामन थाम लिया था। जिसके बाद बीजेपी के टिकट पर यशपाल बाजपुर और संजीव नैनीताल सीट से विजयी हुए। यह दोनों सुरक्षित सीटें हैं। वहीं, 2017 में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर हेम आर्य निर्दलीय चुनाव में उतरे थे। मगर तीसरे नंबर पर रहे। इसके बाद हेम ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था।
खास बात यह है कि 2022 में नैनीताल सीट पर कांग्रेस से टिकट को लेकर हेम और सरिता दोनों ने आवेदन किया था। लेकिन संजीव की वापसी ने इनके लिए संकट खड़ा कर दिया। जिसके बाद हेम आर्य ने दून भाजपा कार्यालय पहुंच घर वापसी कर ली। वहीं, हाल में सरिता आर्य ने भी चौंकाने वाला निर्णय लेकर भाजपा का दामन थाम लिया। टिकट वितरण के बाद इस सीट पर भाजपाइयों में क्या स्थिति होगी। यह तो बाद में पता चलेगा। फिलहाल भाजपा ने कांग्रेस को तो झटका दे दिया है।
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