हरिद्वार के ड्रीम प्रोजेक्ट रिंग रोड की आखिरी चरण की बाधा भी दूर हो गई। केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से गंगा पर बनने वाले प्रदेश के सबसे लंबे पुल को स्वीकृति दे दी है। रिंग रोड के पहले चरण में 15 किमी 300 मीटर लंबे फोरलेन निर्माण के लिए रेल मंत्रालय के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड का चयन हो गया है। अप्रैल से निर्माण शुरू हो जाएगा और करीब दो साल में पूरा होगा।
रुड़की से बिजनौर की आवाजाही के लिए वाया हरिद्वार होकर आनाजाना पड़ता है। इससे हरिद्वार में वाहनों का दबाव बढ़ता है। पर्व स्नानों पर चंडी पुल पर हर समय जाम लगता है। जाम की समस्या को दूर करने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने रिंग रोड निर्माण की दूरगामी योजना बनाई है।
अनुबंध होते ही अप्रैल से शुरू हो जाएगी निर्माण की प्रक्रिया
रिंग रोड दो चरणों में तैयार होनी है। रिंग रोड का पहला चरण बहादराबाद बाईपास से शुरू होगा और श्यामपुर थाना क्षेत्र के अंजनी चौकी एनएच 74 पर खत्म होगा। इससे हरिद्वार-दिल्ली हाईवे के वाहन सीधे नजीबाबाद-हरिद्वार हाईवे के लिए आवाजाही कर पाएंगे।
एनएचएआई के परियोजना प्रबंधक प्रदीप गुंसाई के मुताबिक रिंग रोड के पहले चरण के निर्माण के लिए रेल मंत्रालय के उपक्रम इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड का चयन हो गया है। इसकी लागत 1100 करोड़ होगी। हालांकि, पूर्व में 1566 करोड़ इसकी अनुमानित लागत थी। एजेंसी से अनुबंध होते ही अप्रैल से निर्माण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
एनएचएआई के अभियंता कपिल जोशी ने बताया कि गंगा पर 3.5 किमी लंबा (एप्रोच समेत) पुल बनेगा। पुल को मेजर ब्रिज नाम दिया गया है। एप्रोच छोड़कर पुल की लंबाई 2.561 किमी होगी। यह पुल उत्तराखंड में सबसे लंबा वाहनों के आवाजाही करने वाला होगा।