आइआइटी रुड़की में आयोजित हुआ वाटर कान्‍क्‍लेव, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने की शिरकत

उत्तराखंड हरिद्वार

रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान रुड़की की ओर से संयुक्त रूप से आयोजित तीन दिवसीय रुड़की वाटर कान्क्लेव का बुधवार को शुभारंभ हुआ। आइआइटी रुड़की परिसर में आयोजित उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ऑनलाइन शामिल हुए। इस मौके पर केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत के जल शक्ति मंत्रालय ने भी जल प्रबंधन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। जैसे- जल शक्ति अभियान, जल जीवन मिशन, नमामि गंगे प्रोग्राम और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना। कहा कि इन योजनाओं का उद्देश्य सभी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराना, जल प्रदूषण को दूर करना, पानी के स्रोतों का संरक्षण एवं सुधार और पानी की उपयोगिता को बेहतर बनाना है।

दुनिया भर में जल सुरक्षा चर्चा का मुख्य विषय

उन्होंने कहा कि आइआइटी रुड़की में आयोजित इस सम्मेलन में इन सभी विषयों पर चर्चा की जाएगी। साथ ही विभिन्न मुद्दों एवं इनके समाधान और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने के लिए जरूरी प्रयासों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जल शक्ति मंत्रालय के महानिदेशक जी अशोक कुमार ने कहा कि दुनिया भर में स्थायित्व के लिए जल सुरक्षा चर्चा का मुख्य विषय बन चुका है। इसी को ध्यान में रखते हुए रुड़की वाटर कान्क्लेव-2022 पानी की कमी सैनिटेशन और पानी के स्थाई उपयोग संबंधी समस्याओं को हल करने के लिए तत्पर है। इसके अलावा एकीकृत गंगा संरक्षण मिशन के साथ यह सम्मेलन गंगा नदी के पारिस्थितिक प्रभाव को बनाए रखने में कारगर साबित होगा और यह सुनिश्चित करेगा कि पानी की गुणवत्ता में सुधार लाकर पर्यावरण के सतत विकास को बढ़ाया जा सके।

आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा कि जल सुरक्षा सतत विकास का आधार है। जल सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान एवं नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। रुड़की वाटर कान्क्लेव का दूसरा संस्करण एक ऐसा मंच है जो राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर सरकारी नीतियों में विज्ञान के उपयोग को प्रोत्साहित करता है। राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रुड़की के कार्यवाहक निदेशक डॉ. सुधीर कुमार ने रुड़की वाटर कान्क्लेव के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। तीन दिवसीय इस वाटर कान्क्लेव में अमेरिका, कनाडा, जापान, इटली, आस्ट्रेलिया आदि देशों से 30 से अधिक अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों के साथ ही आइआइटी के विज्ञानी भी विभिन्न विषयों पर शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे। वहीं इस कार्यक्रम में व्यक्तिगत और ऑनलाइन करीब 200 प्रतिभागी भाग लेंगे।

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