हल्द्वानी: पिरूल (चीड़) की घास अब पुलिस परिवार की महिलाओं को भी हुनरमंद और आत्मनिर्भर बना रही है। उत्तराखंड के चम्पावत जिले के लोहाघाट में पुलिस परिवार की महिलाओं ने स्वरोजगार कर पतियों का हाथ बटाना शुरू कर दिया है। घास से टोपी, हाटकेस, टोकरी व अन्य उपकरण बनाए जा रहे हैं। इन्हें आनलाइन और आफलाइन बाजार देने भी शुरू कर दिया है।
उपवा की अध्यक्ष अलकनंदा अशोक की पहल पर लोहाघाट में पुलिस परिवार की 22 महिलाओं को पिरूल की घास से उपकरण बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। 15 दिन तक प्रशिक्षण पुलिस लाइन चम्पावत में हुआ। अब महिलाओं ने अपना हुनर दिखाना शुरू कर दिया है। घास को एकत्र कर महिलाएं आकर्षक उपकरण तैयार कर रही हैं। इनकी रंगाई-पुताई निजी खर्च पर हो रहा है। महिलाओं ने सैंकड़ों उपकरण बनाकर तैयार कर लिए हैं।
प्रशिक्षण की नोडल अधिकारी मीनाक्षी नोटियाल ने बताया कि उपकरणों को बेचने के लिए पूर्णागिरी मेले में स्टाल लगाए जाएंगे। इसके अलावा इंटरनेट मीडिया में एक पेज तैयार किया जाएगा। लोग देश ही नहीं विदेश से भी उपकरणों की आनलाइन मांग कर सकते हैं। उचित दामों पर उन्हें लोगों तक पहुंचाया जाएगा। बताया कि कम लागत में इससे अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। इनकी ब्रिकी भी शुरू कर दी गई है।
दिन में तैयार करते हैं उपकरण
पुलिस परिवार की महिलाओं को सुबह, शाम घर के कामों में बिजी रहना पड़ता है। दोपहर में महिलाएं एकजुट होकर पिरूल के पत्तों से उपकरण बनाते हैं। यह काम कर उन्हें अपने पतियों पर निर्भर होने की जरूरत भी नहीं है। वह अपना व परिवार का खर्च खुद उठाने लगी है। महिलाएं टोकरी, हाटकेस, टोपी, कटोरी, प्लेट, मंदिर के लिए पूजा की टोकरी, बालों के जूड़े के लिए क्लिप आदि बना रही हैं।
आत्मनिर्भर हो रहींं हाउस वाइफ
एसएसपी चम्पावत देवेंद्र पींचा ने बताया कि महिलाएं घर में ही अधिकांश वक्त समय बीताती थी। यह बात अब पुरानी हो चुकी है। चम्पावत व लोहाघाट में पुलिस परिवार की महिलाओं ने पिरूल की घास से स्वरोजगार शुरू कर दिया है। पुलिस लाइन की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर होने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
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