पंतनगर: अब हर्बल फसलों की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होगी। इसके लिए गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि ने सोलर ड्रायर पैनल तकनीक विकसित की है। जिससे फसलों को सुखाने के दौरान उत्पाद का । यह तकनीक पर्वतीय क्षेत्रों के साथे छोटी जोत वाले किसानों को काफी फायदेमंद साबित होगी।
हर्बल खेती की ओर किसानों का रुझान बढ़ रहा है। छोटे किसान हर्बल फसल को धूप में सूखाते हैं। इससे अधिक तापमान में उत्पाद सूखाने पर उसकी गुणवत्ता के साथ कलर भी प्रभावित होता है। किसान मजबूरी में कंपनियों को उत्पाद बेचते हैं,मगर उत्पाद की सही कीमत नहीं मिल पाती। पर्वतीय क्षेत्रों में हर्बल खेती करने वालों को ध्यान में रखकर विवि के पोस्ट हार्वेस्ट प्रोसेस फूड इंजीनियरिंग विभाग के डा एनसी शाही ने सोलर ड्रायर तकनीक विकसित की है।
पर्वतीय क्षेत्रों में छोटे छोटे टुकड़ाें में हर्बल की खेती की जाती है। नई तकनीकी से उत्पाद की गुणवत्ता के साथ कलर बना रहेगा। डाक्टर शाही बताते हैं कि हर्बल फसलों के पत्ते, जड़ आदि का प्रोसेसिंग कर सुखाने के लिए कोई हाइजिनिक तकनीक किसानों के पास उपलब्ध नहीं है। जो तकनीक उपलब्ध है, वह भी काफी महंगा है।
यह तकनीक बड़े उद्योगों में देखा जा सकता है। सोलर ड्रायर पैनल से औषधियों को सुखाकर बाजार में बेच सकते हैं। पोस्ट हार्वेस्ट प्रोसेस फूड इंजीनियरिंग विभाग के डा. एनसी शाही ने बताया कि सोलर ड्रायर तकनीक हर्बल की खेती करने वाले छोेटे किसानों के लिए फायदेमंद होगी। यह सस्ती पड़ेगी और इसके प्रयोग से उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहेगी।
ऐसे तैयार होगा सोलर ड्रायर
मॉडल का बेसमेंट लोहे का लगभग 2/6 साइज का ट्रे होता है। ट्रे के ऊपर आधे गोलाई में पांच एमएम मोटा प्लास्टिक शीट ड्रमनुमा आका में फ़ीट किया जाता है। जिससे प्लास्टिक शीट द्वारा ट्रे के भीतर सीधे सूर्य की रोशनी नहीं पहुंच पाती और धूप उत्पाद पर नहीं पड़ती। इससे उत्पाद की गुणवत्ता बनी रहती है। ड्रायर में तापमान मापने के लिए डिजिटल मीटर का डिस्प्ले बोर्ड लगाया जाता है, जो ड्रायर के तापमान को दर्शाता रहता है। ट्रे बेसमेंट में लोहे की पाइप की चिमनी होती है। जिससे ज्यादा तापमान बहार निकल सके। चिमनी में 12 वोल्ट का छोटा सा फैन होगा, जो ज्यादा तापमान को पैनल से बहार निकलने में मदद करता है। पैनल में 50 डिग्री सेल्सियस तापमान से अधिक न हो सके।