हल्द्वानी: हल्द्वानी से सटे जंगल में एक आदमखोर बाघ को तलाशने के लिए वन विभाग 23 फरवरी से जंगल छान रहा है। लेकिन अभी तक उसके पास ट्रैप कैमरों में बाघ की फोटो के अलावा और कोई सुराग नहीं है। बाघ के सामने दिखने पर उसे तुरंत ट्रैंकुलाइज करने के लिए वन्यजीव चिकित्सक, हथिनी, शिकारी से लेकर बाहर से एक्सपर्ट भी बुलाए गए। मचान से निगरानी के अलावा हथिनी से गश्त कर भी खोजा गया। मगर और फायदा अब तक नजर नहीं आया।
गनीमत है कि 30 मार्च के बाद इस जंगल में किसी अन्य पर हमला नहीं हुआ। फिलहाल छह लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उत्तराखंड के बाकी जंगलों में भले वनकर्मी इस आग को सबसे बड़ी चुनौती मान रहे हो। लेकिन रामनगर डिवीजन की फतेहपुर रेंज में पिछले साल दिसंबर से लेकर अब तक वन्यजीवों का आतंक ही सबसे बड़ी चुनौती है।
चार महिलाओं और दो पुरुषों की अब तक जान जा चुकी है। लोगों का आक्रोश बढऩे पर वन विभाग भी सक्रिय हुआ। मगर उसकी सक्रियता का अब तक कोई परिणाम नहीं मिला। पहले वन विभाग ने रामनगर कार्बेठ, नैनीताल चिडिय़ाघर और वेस्टर्न सर्किल के चिकित्सकों को भी बुलाया। ताकि घने जंगल मेें बाघ के नजर आने पर उसे ट्रैंकुलाइज किया जा सके। इसके बाद इस टीम की सुरक्षा के लिए कार्बेट से दो हथिनी भेजी गई।
अभियान को सफलता नहीं मिलने पर बाहर से तीन शिकारी भी बुलाए गए। लेकिन दो दिन बाद शिकारी लौट गए। वजह इन्हें बाघ को ढेर न करने का आदेश देना था। इस बीच लोगों का आक्रोश बढ़ा तो गुजरात के जामनगर से तीस सदस्यीय टीम को फतेहपुर बुलाया गया। इनके पास ट्रैंकुलाइज एक्सपर्ट के अलावा सभी संसाधन भी है। इनकी निगरानी में चार मचान तक बनाए गए हैं। लेकिन बाघ को ट्रैंकुलाइज नहीं किया जा सका।
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