चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी को मिलेगा अपनी सीट छोड़ने का ईनाम!

उत्तराखंड देहरादून

चंपावत विधायक कैलाश गहतोड़ी को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए विधानसभा सीट छोड़ने पर ईनाम मिलना तय है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने इसके संकेत दे दिए हैं। कौशिक ने कहा कि गहतोड़ी की नई भूमिका क्या रहेगी, इस पर संगठन विचार कर रहा है।  दरअसल विधायक गहतोड़ी, धामी के विधानसभा चुनाव हारने के बाद से ही लगातार उनके लिए सीट छोड़ने की बात कह रहे थे। यह सीट मुख्यमंत्री की पुरानी सीट खटीमा से लगती हुई है। ऐसे में मुख्यमंत्री और भाजपा संगठन को गहतोड़ी का सुझाव अच्छा लगा। इस पर सहमति बनी तो अब सीट खाली कराई गई है। मुख्यमंत्री के लिए सीट छोड़ने के बाद अब भाजपा विधायक गहतोड़ी का भी सम्मान करेगी। इसके लिए उन्हें सरकार में कोई अहम दायित्व दिया जा सकता है। इसके अलावा भाजपा के पास गहतोड़ी को राज्यसभा भेजने का भी विकल्प खुला है। राज्यसभा की एक सीट जल्द ही खाली होने जा रही है। ऐसे में गहतोड़ी की राय के बाद इस पर निर्णय हो सकता है। हालांकि पार्टी के सूत्रों का कहना है कि विधायक गहतोड़ी राज्यसभा जाने की बजाए राज्य में ही किसी अहम जिम्मेदारी को प्राथमिकता दे सकते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि विधायक गहतोड़ी ने चंपावत के हित में स्वागतयोग्य निर्णय लिया है। अब आगे उनकी पार्टी में क्या भूमिका होगी उसको लेकर संगठन विचार कर रहा है।  कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में लिया गया निर्णय : भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि विधायक गहतोड़ी के सीट छोड़ने का निर्णय चंवापत में पार्टी के कार्यकर्ताओं की बैठक में लिया गया। वहां से प्रस्ताव आया जिस पर राज्य में विचार हुआ और फिर इस संदर्भ में शीर्ष नेतृत्व को बताया गया। बुधवार को ही विधायक गहतोड़ी के इस्तीफे का निर्णय हो गया था। उन्होंने कहा कि गहतोड़ी ने चंपावत की जनता के दिलों पर राज किया है। चंपावत के हित में उन्होंने बड़ा निर्णय लिया। उन्होंने इस निर्णय के लिए गहतोड़ी का आभार भी जताया।   बारह विधायक सीट छोड़ने को तैयार  थे : कौशिक कांग्रेस के कई विधायक भी सीएम के  लिए सीट छोड़ने को तैयार थे, इसके बाद भी भाजपा ने अपने विधायक से सीट खाली क्यों कराई? इस सवाल के जवाब में प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए बारह से ज्यादा विधायक सीट छोड़ने को तैयार थे लेकिन चंपावत के कार्यकर्ताओं की भावना को देखते यह निर्णय लिया गया है।  गहतोड़ी बोले-मेरा कोई स्वार्थ नहीं बस पांच साल मुख्यमंत्री रहें धामी विधायक पद छोड़ने के बाद कैलाश गहतोड़ी ने कहा कि सीट छोड़ने के पीछे उनका कोई निजी स्वार्थ नहीं है। वह चाहते हैं कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पांच साल तक राज्य की सेवा करते रहें।  गहतोड़ी ने कहा-मेरी उम्र 54 साल हो गई है। पांच-छह मुख्यमंत्री देख लिए  पर ऐसा ऊर्जावान युवा सीएम पहली बार देखा। चुनाव से छह माह पूर्व जिम्मेदारी मिलने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने विकास के ताबड़तोड़ काम किए। इससे दोबारा भाजपा की सरकार बनी। गहतोड़ी ने कहा, चुनाव से पहले कोई कह रहा था कि भाजपा की बीस सीटें आ रही हैं, कोई कहता था कि 19 ही आ रही हैं। लेकिन युवा नेतृत्व के बल पर भाजपा 47 सीटें जीतने में कामयाब रही। सरकार रिपीट करने के बावजूद मुख्यमंत्री धामी खुद जीत नहीं पाए।  उन्होंने कहा कि धामी में कोई बात तो होगी जो हार के बाद भी केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें फिर मुख्यमंत्री बनाया है। ऐसे ऊर्जावान युवा के लिए सीट छोड़ने की जिम्मेदारी मेरी थी। मैं खटीमा के पड़ोस की सीट से आता हूं। वहां के लोगों को यह अहसास भी कराया जाना चाहिए कि उन्होंने गलत किया है। मैंने जब चुनाव जीतने के बाद अपनी जनता को मन की इच्छा बताई तो वहां के लोगों ने मुझे सर आंखों पर बिठा लिया। लोगों की प्रेरणा और प्यार से ही मैने यह निर्णय लिया है।  विधायकी फिर हासिल हो जाएगी : कैलाश बकौल गहतोड़ी-मेरी अपनी कोई पहचान नहीं। जिस संगठन का सदस्य बनना भी मुश्किल है, उसने मुझे दो बार विधायक बनाया। उसी से मेरी पहचान बनी। संघ के करोड़ों स्वयंसेवक देश के लिए बलिदान करते हैं। उन्होंने अपना पूरा जीवन देश सेवा में न्यौछावर कर दिया। उनके आगे मेरा योगदान कुछ भी नहीं। जहां तक विधायकी की बात है वो फिर हासिल कर ली जाएगी। यदि नहीं भी बना तो चंपावत के विकास के लिए लोग मुझे याद रखेंगे। यदि मेरे सीट छोड़ने से चंपावत का विकास होता है तो यह मेरे लिए सौभाग्य होगा। चंपावत में आज तक कई विधायक रहे हैं। मै भी विधायक रहकर क्या कर लेता। लेकिन मुख्यमंत्री के पांव यदि चंपावत में पड़ेंगे तो उस क्षेत्र में विकास की बयार बहेगी। 

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