जीआइ टैग मिला तो फिर से नैनीताल की पहचान बनेगा मोमबत्ती से बना क्राफ्ट
नैनीताल : सरकारी सहयोग के अभाव और चाइनीज मोमबत्ती के बाजार पर कब्जे के कारण मोमबत्ती कारोबार छोड़ चुके दर्जनों कारोबारियों की जिला प्रशासन ने एकबार फिर उम्मीद जगा दी है। प्रशासन की ओर से नैनीताल की मोमबत्ती को जीआइ टैग दिलाने की कवायद की कारोबारी सराहना कर रहे हैं।
कारोबारियों का मानना है कि जीआइ टैग मिलने के बाद न सिर्फ नैनीताल की मोमबत्ती को वैश्विक बाजार मिलेगा, बल्कि इससे कारोबार में भी कई गुना बढ़ोतरी हो जाएगी। जिससे मोमबत्ती निर्माण का कार्य छोड़ चुके दर्जनों कामगारों के हाथों को रोजगार मिलेगा।
शहर में मोमबत्ती का कारोबार छह दशक से भी पुराना है। शहर की ठंडी आबोहवा मोमबत्ती निर्माण के लिए लेकर उपयुक्त होने के कारण साठ के दशक में नैनीताल में मोमबत्ती बनाने की फैक्ट्री संचालित की जाने लगी थी। धीरे-धीरे शहर का मोमबत्ती कारोबार परवान चढऩे लगा।
80 के दशक तक शहर में 50 से 60 घरों में छोटी-छोटी फैक्ट्रियां संचालित कर रंग बिरंगी खूबसूरत मोमबत्ती बनाई जाने लगीं। जिसे पर्यटक खरीदना नहीं भूलते थे। मगर सरकारी उपेक्षा और बाजार में चाइनीज मोमबत्ती की धमक के बाद शहर की हाथों से बनने वाली मोमबत्तियों की चमक फीकी होने लगी।
बीते एक दशक में मोम महंगा होने के कारण कई फैक्ट्रियां बंद कर दी गई। जिस कारण शहर में मोमबत्ती निर्माण और कारोबार कम हो गया। वर्तमान में शहर में गिने चुने लोगों द्वारा मोमबत्ती बनाने और बेचने का कार्य किया जा रहा है।
मोमबत्ती निर्माता व कारोबारी अमित गुप्ता ने बताया कि पूर्व में सरकार द्वारा फैक्ट्री संचालकों को मोम का कोटा दिया जाता था, जो एक दशक पूर्व बंद कर दिया गया। मोमबत्ती बनाने को कच्चा माल दिल्ली से मंगाने के कारण निर्माण लागत बहुत अधिक आने लगी थी। जिस कारण कई लोगों ने मोमबत्ती बनाने का कार्य छोड़ दिया।
इधर कहा गया कि जिला प्रशासन द्वारा नैनीताल की मोमबत्ती को जीआइ टैग दिलाने के लिए आवेदन किया गया है। जो कारोबारियों के लिए लाभकर साबित होगा। मोमबत्ती कारोबारी गौरव मेहरा के अनुसार जीआइ टैग मिलने के बाद नैनीताल की मोमबत्तियों की मांग बढ़ जाएगी। बंद हो चुकी फैक्ट्रियां फिर से संचालित होने की उम्मीद है। मोमबत्ती निर्माण बढऩे से शहर के सैकड़ों लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होगा।
Стальная арматура — это наиболее часто используемый вид арматуры, идеально подходящий для выполнения большинства строительных задач благодаря своим характеристикам. Она может быть представлена в виде гладких или рифленых стержней, проволоки и сетки. Для её изготовления используется углеродистая и легированная сталь, что обеспечивает высокую устойчивость к деформациям и коррозии.
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Стальной двутавр — это фасонный металлопрокат с Н-образным сечением поперечного профиля. Он изготавливается горячекатаным способом из углеродистых или низколегированных сталей при температуре 1200°C по стандарту ГОСТ 8239-89 https://dvutavrmsk.ru
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Двутавр — это тип металлического профиля, который широко используется в строительстве для создания несущих конструкций. Он имеет форму буквы “H” и состоит из двух параллельных полок, соединенных стенкой. Подробнее на https://dvutavrmsk.ru