अल्मोड़ा : उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में स्थापित भातखंडे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय में केवल चार संकाय है। वर्षो से लोग यहां तबला संकाय खोलने की मांग करते आ रहे हैं। तीस दशक से अधिक समय बीतने के बाद भी अभी तक तबला संकाय नहीं खोला गया है। जिस कारण इसमें रुचि रखने वाले बच्चों को प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।
सांस्कृतिक नगरी में हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायन, वादन एवं नृत्य के इच्छुक लोगों को प्रमाणिक एवं मानक शिक्षा देने के लिए भातखंडे हिंदुस्तानी संगीत महाविद्यालय की स्थापना की गई थी। पूर्ववर्ती राज्य उत्तर प्रदेश के समय से इस महाविद्यालय में गायन, सितार, कथक एवं भरतनाट्यम के कुल चार संकाय शुरू किए गए। तब से महाविद्यालय में इन चारों संकायों में बच्चों को प्रवेश देकर हिन्दुस्तानी संगीत की शिक्षा दी जा रही है।
वर्तमान में हुए प्रवेश के दौरान अधिकतर बच्चें महाविद्यालय में तबला सीखने के लिए प्रवेश फार्म लेने पहुंचे। लेकिन तबला संकाय न होने के कारण उन्हें मायूसी हाथ लगी। बच्चों में गायन के साथ साथ तबला सीखने की रूचि को देखते हुए अब महाविद्यालय प्रशासन की ओर से निदेशालय को तबला संकाय खोलने की अनुमति मांगी गई है। अनुमति मिलने के बाद बच्चों को तबला संकाय में प्रवेश मिलने लगेगा।
महाविद्यालय में वर्तमान में दो सौ से अधिक बच्चे संगीत की शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। तबला सीखने के लिए भी बहुत बच्चें महाविद्यालय में पहुंचे थे। लेकिन तबला संकाय न होने के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया जा सका। इस संबंध में निदेशालय को पत्र भेज कर तबला संकाय के लिए पद श्रृजित कर संकाय खोलने का प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही बच्चों का प्रवेश शुरू किया जाएगा।- डा. चंद्र सिंह चौहान, प्रभारी, भातखंडे हिन्दुस्तानी संगीत महाविद्यालय