प्रदेश के 808 मोहल्लों और बस्तियों में गर्मियों में पानी का संकट पैदा हो गया है। पेयजल विभाग ने पेयजल निगम और जल संस्थान के माध्यम से बड़े पैमाने पर वैकल्पिक व्यवस्थाएं बनाने का काम तेज कर दिया है। शासन ने इसके लिए निगम और जल संस्थान के आला अधिकारियों को नोडल अधिकारी नामित किया है।
गर्मी बढ़ने के साथ ही पेयजल की आपूर्ति लड़खड़ाने लगी है। कुल 375 पेयजल योजनाएं संकट में हैं। इनमें 46 शहरी और 329 ग्रामीण क्षेत्र की हैं। कुल 274 शहरी और 534 ग्रामीण क्षेत्रों के मोहल्लों और बस्तियों के लोग पेयजल के लिए परेशान होने लगे हैं।
विभाग ने यहां 71 पानी के टैंकरों के साथ ही किराये के 208 टैंकरों से जलापूर्ति शुरू कर दी है। पेयजल विभाग के अधिकारियों ने बताया कि गर्मियों के इस सीजन में करीब 103 करोड़ रुपये के खर्च से संकट दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए 114 जेनरेटर लगाए गए हैं। पिछले डेढ़ माह में 56 नए हैंडपंप लगाने का काम तेजी से चल रहा है, जिसमें शहरी क्षेत्रों के 14 और ग्रामीण क्षेत्रों के 42 हैंडपंप शामिल हैं। इसी प्रकार, विभाग की ओर से 58 हैंडपंपों में कोरा पंप डालकर पेयजल आपूर्ति की जा रही है।
पर्वतीय मार्गों पर खच्चर भी लगाए
जल संस्थान ने ऐसे गांवों में खच्चरों के माध्यम से पानी की आपूर्ति शुरू की है, जहां सीधे सड़क से पानी का टैंकर नहीं जा सकता है। आसपास के पेयजल स्त्रोत से जल संस्थान की टीमें यहां पानी पहुंचाने का काम कर रही हैं।गर्मियों में पेयजल संकट दूर करने के लिए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशों पर शासन ने दो नोडल अधिकारी बनाए हैं। इनमें एक पेयजल निगम और एक जल संस्थान का अधिकारी शामिल है। यह आपसी समन्वय से पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था बनाने में जुटे हुए हैं।
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