बदरीनाथ हाईवे गुरुवार सुबह पागल नाला में मलबा और बोल्डर आने से बंद हो गया है। जिसके चलते बदरीनाथ धाम और हेमकुंड साहिब की तीर्थयात्रा रुकी हुई है। बदरीनाथ हाईवे के खुलने पर यात्रा शुरु होगी। हाईवे खोलने का काम अभी जारी है।
वहीं, भारी बारिश से चमोली जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों की 40 सड़कें बंद हैं। ग्रामीणों को गांव तक जाने के लिए लंबी दूरी नापनी पड़ रही है। वहीं, सड़कें बंद होने से बीमार और स्कूली छात्र-छात्राओं को आवाजाही में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ऑलवेदर रोड परियोजना कार्य से बदरीनाथ हाईवे कई जगहों पर सुगम तो हो गया है लेकिन पागल नाला में हाईवे आज भी बदहाल है। यहां हल्की बारिश होने पर ही मलबा हाईवे पर आ रहा है जिससे यातायात बाधित हो रहा है।
यहां नाले में अभी भी बोल्डर अटके हैं जो कभी भी हाईवे को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं। ऑलवेदर रोड परियोजना के तहत एनएचआईडीसीएल ने पागल नाला में पुल निर्माण का प्रस्ताव रखा है लेकिन इस प्रस्ताव पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। पीपलकोटी से करीब नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित पागल नाला टंगणी गांव के समीप स्थित है। वर्ष 2016 से यहां भूस्खलन हो रहा है। तब हाईवे सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के पास था।
बीआरओ ने हाईवे सुचारु करने के लिए नाले के मलबे को टंगणी गांव के खेतों में डाल दिया। अब ये खेत भी भूस्खलन की चपेट में हैं। यहां हल्की बारिश होने पर भी पागल नाला में मलबा और बोल्डर आ रहे हैं। हाईवे बंद होने से सेना, तीर्थयात्रियों और स्थानीय लोगों को हो रही आवाजाही में दिक्कतें होती हैं।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य देवेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि छह साल से पागल नाला का स्थायी समाधान नहीं हो पाया है। उच्च हिमालय क्षेत्रों में बारिश होने पर नाले में पानी बढ़ जाता है जिससे हाईवे पर मलबा भर जाता है। पूर्व में बीआरओ और अब एनएचआईडीसीएल (राष्ट्रीय राजमार्ग एवं ढांचागत विकास) यहां सिर्फ मलबा हटाने पर ही करोड़ों रुपये खर्च कर चुका है।
इधर, एनएचआईडीसीएल के प्रबंधक संदीप कार्की का कहना है कि पागल नाला में करीब 300 मीटर लंबा पुल स्थापित किया जाएगा। इसकी डीपीआर बन रही है। इसमें छह माह का समय लगेगा। उन्होंने बताया कि आगामी वर्ष जनवरी माह से पुल निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा।
उधर, गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग बंदरकोट के पास लगातार पत्थर गिरने के कारण मार्ग अवरुद्ध हो गया है। बीआरओ की मशीनें मौके पर पहुंच गई हैं, लेकिन पत्थर लगातार गिर रहे हैं। कर्मचारियों का कहना है कि जब पत्थर गिरने रुकेंगे तो हाइवे को खोलने का काम शुरु किया जाएगा।
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