उत्तराखंड में मेरिनो भेड़ नस्ल सुधार के लिए तकनीकी सहयोग देने के लिए आस्ट्रेलिया सेंटर स्थापित कर सकता है। राज्य सरकार की ओर से दिए गए प्रस्ताव पर सोमवार को आस्ट्रेलियन उच्चायुक्त बेरी ऑफ फेरल उत्तराखंड पहुंचेंगे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और आस्ट्रेलियन उच्चायुक्त के बीच होने वाली वार्ता में इस पर सहमति बन सकती है।
प्रदेश के सीमांत जिले उत्तरकाशी, चमोली, पिथौरागढ़ में स्थानीय भेड़ों की ऊन की गुणवत्ता और उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार ने वर्ष 2019 में आस्ट्रेलिया ने 240 मेरिनो भेड़ आयात किए थे। इसमें 199 मादा और 41 नई भेड़ थी। टिहरी स्थित पशु प्रजनन केंद्र में इन भेड़ों को रखा गया। प्रदेश की आवोहवा में मेरिनो भेड़ को सुरक्षित करने में उत्तराखंड को कामयाबी भी मिली। मेरिनो भेड़ों से उत्तरकाशी और चमोली जिले में नस्ल सुधार कार्यक्रम चलाया गया।
आस्ट्रेलिया के पास मेरिनो नस्ल सुधार के लिए लेप्रोस्क्रोपिक आर्टिफिशियल सीमन प्रत्यारोपण तकनीक है, जो अन्य किसी देशों में नहीं है। इस तकनीक की ट्रेनिंग लेने के लिए राज्य की ओर से वेटनरी डॉक्टरों को आस्ट्रेलिया भेजा गया, लेकिन इसमें खास कामयाबी नहीं मिली।
सरकार ने आस्ट्रेलिया को उत्तराखंड में ही मेरिनो भेड़ नस्ल सुधार सेंटर बनाने का प्रस्ताव दिया था। इस संबंध में सोमवार को आस्ट्रेलियन उच्चायुक्त बेरी ऑफ फेरल मुख्यमंत्री से वार्ता भी करेंगे, जिसमें भेड़ नस्ल सुधार सेंटर पर सहमति बनने की संभावना है।
सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम ने बताया कि प्रदेश में मेरिनो भेड़ नस्ल सुधार सेंटर बनाने की संभावनाओं को देखने के लिए आस्ट्रेलियन उच्चायुक्त उत्तराखंड के दौरे पर आ रहे हैं। नस्ल सुधार कार्यक्रम से स्थानीय भेड़ों के ऊन की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। आने वाले समय में मेरिनो नस्ल की भेड़ों से पशुपालकों को तीन से चार गुणा अधिक आमदनी होगी।
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