पिरूल से बिजली उत्पादन की दम तोड़ती परियोजनाओं को सरकार ने ऑक्सीजन देने की कवायद तेज कर दी है। उत्तराखंड रिनिवेबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (उरेडा) की अगुवाई में इन प्लांट को प्रोत्साहन देने के दिशा-निर्देश शासन से जारी हुए हैं। दरअसल, त्रिवेंद्र सरकार में पिरूल से बिजली उत्पादन की योजना शुरू हुई थीं।
इस योजना के तहत करीब छह प्लांट प्रदेश में लगे थे जो अब बंदी की कगार पर हैं। उरेडा लगातार इन्हें बचाने की कवायद में लगा है। अब नए सिरे से इन परियोजनाओं को पिरूल उपलब्ध कराने को वन विभाग को निर्देश दिए गए हैं जबकि प्लांट के संचालन के लिए यूपीसीएल को बिजली की उपलब्धता के निर्देश दिए गए हैं।
उरेडा की ओर से पिरूल से बिजली के अल्मोड़ा और उत्तरकाशी के दो प्लांट की मॉनिटरिंग बृहस्पतिवार से दस सितंबर तक की जाएगी। इस दौरान यह दोनों प्लांट रोजाना 16 घंटे संचालित होंगे। इनमें रोजाना पिरूल की खपत, बिजली उत्पादन, टार की मात्रा आदि का पूूरा विवरण नोट किया जाएगा।
समय से भुगतान के निर्देश
इसके लिए एक समिति का गठन किया गया है। पिरूल संग्रह करने वाले लोगों को वन विभाग से समय से भुगतान के निर्देश भी दिए गए हैं। मुख्य परियोजना अधिकारी नीरज कुमार गर्ग के मुताबिक, पिरूल परियोजनाओं के संचालन को लेकर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
हिमाचल जाएगी उरेडा की टीम
हिमाचल प्रदेश में पिरूल के उपयोग के लिए कई परियोजनाएं चल रही हैं। इन परियोजनाओं की जानकारी के लिए उरेडा के विशेषज्ञ हिमाचल प्रदेश में अधिकारियों से बात करेंगे। इसके बाद परियोजनाओं का अध्ययन करने के लिए उरेडा का एक दल हिमाचल जाएगा।
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