देहरादून : वर्ष 2015 में भर्ती हुए कुछ दारोगा विजिलेंस की जांच की जद में आ गए हैं। एसटीएफ ने 10 से 12 संदिग्ध दारोगाओं की सूची विजिलेंस को सौंप दी है।
विजिलेंस अब संदिग्ध दारोगाओं की भूमिका की जांच करेगी। उनके दस्तावेजों के साथ उनकी उत्तर पुस्तिका की भी जांच की जाएगी। जांच में यदि गड़बड़ी पाई गई तो संबंधित के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया जाएगा। विजिलेंस ने परीक्षा करवाने वाले गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय से भी रिकार्ड मंगवा लिया है।
वर्ष 2015 में हुई दारोगाओं की यह सीधी भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार में मुख्यमंत्री हरीश रावत के कार्यकाल में हुई थी। 339 पदों के लिए हुई इस भर्ती परीक्षा की जिम्मेदारी गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर को दी गई थी।
यूकेएसएसएससी के पेपर लीक मामले में जांच कर रही एसटीएफ ने जब गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर के पूर्व असिस्टेंट एस्टेब्लिसमेंट आफिसर (एईओ) दिनेश चंद्र को गिरफ्तार किया तो आरोपित से हुई पूछताछ में कुछ अहम जानकारी हाथ लगी। इसमें वर्ष 2015 में हुई दारोगा भर्ती परीक्षा भी जांच के घेरे में आ गई।
आरोपित दिनेश चंद्र वर्ष-2006 से वर्ष-2016 तक विश्विवद्यालय की परीक्षा सेल में तैनात था। इस बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने उन सभी भर्ती परीक्षाओं की जांच कराने के आदेश दिए थे, जो विवादों में रही है।
पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने शासन को पत्र भेजकर दारोगा भर्ती में लगे गड़बड़ी के आरोप की जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की सिफारिश की थी। जिसे शासन ने मंजूर करते हुए जांच विजिलेंस को सौंप दी।
हाकम व मूसा का हाथ होने की संभावना
वर्ष 2015 में हुई दारोगा की सीधी भर्ती की गड़बड़ी में भी हाकम सिंह रावत व सैय्यद सादिक मूसा का हाथ होने की भी संभावना है। दोनों यूकेएसएसएससी के स्नातक स्तरीय पेपर लीक प्रकरण में मुख्य आरोपितों में शामिल हैं।
विजिलेंस मूसा के पुलिस रिमांड पर आने का इंतजार कर रही है। जिस समय एसटीएफ ने मूसा की गिरफ्तारी की थी, उस समय विजिलेंस आरोपित से अधिक पूछताछ नहीं कर पाई थी। उसे रिमांड पर लेने के बाद विजिलेंस उससे दारोगा भर्ती प्रकरण में विस्तृत पूछताछ करेगी।