देहरादून। छावनी परिषद देहरादून के पीपीपी मोड पर संचालित किए जा रहे जनरल अस्पताल में उद्घाटन के सवा माह बाद भी मरीजों को आधा-अधूरा इलाज मिल पा रहा है। संचालक मशीनों, भवन मरम्मत और वेतन पर छह करोड़ रुपये का बजट खर्च होने का दावा कर रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि अब तक ऑक्सीजन सप्लाई ठप होने की वजह से यहां एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया जा सका है। ओपीडी में मरीजों की संख्या बहुत कम होने के चलते डॉक्टर भी काम छोड़कर जा रहे हैं।
कैंट बोर्ड प्रबंधन ने 26 अगस्त को अस्पताल के पीपीपी मोड पर संचालन का शुभारंभ किया था। उस दौरान दावा किया था कि लोग यहां 90 रुपये में ओपीडी पर्चा बनवाकर विशेषज्ञ चिकित्सकों से अपना चेक अप करवा सकेंगे। उन्हें आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल में बेहतर इलाज मिलेगा और जांचें करवाने की सुविधा भी निजी अस्पतालों की अपेक्षा आधे रेट पर उपलब्ध होगी, लेकिन फिलहाल स्थिति इसके ठीक उलट है। ऑक्सीजन सप्लाई की सुविधा नहीं होने से मरीजों को अस्पताल में भर्ती नहीं किया जा रहा। कैंट बोर्ड के सीईओ अभिनव सिंह का कहना है कि व्यवस्था दुरुस्त करने का प्रयास किया जा रहा है। स्टाफ कर्मचारियों को हेल्थ कार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
नहीं बन सका हेल्थ कार्ड
हेल्थ कार्ड नहीं बन पाने से ओपीडी में बहुत कम मरीज आ रहे हैं। इस वजह से चिकित्सक काम छोड़कर जाने लगे हैं। एक चिकित्सक ने प्रैक्टिस नहीं होने का हवाला देकर रिजाइन कर दिया है। सर्जन का कहना है कि यदि जल्द ऑपरेशन शुरू नहीं हुए तो उन्हें भी मजबूरन कहीं और ज्वॉइन करना पड़ेगा। अस्पताल के संचालन की जिम्मेदारी डॉ. अजय खन्ना ने ली है। उन्होंने बताया कि अब तक मशीनें लगवाने, अस्पताल भवन की मरम्मत, चिकित्सकों व स्टाफ कर्मचारियों के वेतन आदि पर 6 करोड़ के आसपास बजट खर्च हो चुका है, लेकिन करार के मुताबिक कैंट बोर्ड के स्तर से जो व्यवस्था की जानी हैं, वह नहीं की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि यदि यही हालात यही रहे तो वह मजबूरन करार समाप्त कर देंगे। उन्होंने कहा कि कैंट बोर्ड को हेल्थ कार्ड बनाने की प्रक्रिया में तेजी लानी होगी।